
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे राजनाथ
| | 2017-03-17T13:24:15+05:30
पूरन चन्द्ररांची : उत्तर प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए भाजपा में मंथन चल रहा है लेकिन अब...
पूरन चन्द्र
रांची : उत्तर प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए भाजपा में मंथन चल रहा है लेकिन अब तक किसी के नाम पर मुहर नहीं लगी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को 325 सीटें मिली है। मुख्यमंत्री के पद के लिए भाजपा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह का नाम सबसे ऊपर चल रहा था परन्तु उन्होंने इससे साफ तौर पर इनकार कर दिया है।
प्रधानमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चाहते हैं कि राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश की कमान संभाल लें। परन्तु उनकी ओर से अब तक नकारात्मक रुख ही सामने आया है। भाजपा के कुछ वरिष्ठ सांसदों से रांची एक्सप्रेस की बातचीत हुई तो यह बात सामने आयी कि राजनाथ सिंह की दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाने की इच्छा नहीं है। भीजपा नेतृत्व यह समझता है कि राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री बनने से 325 विधायक पूरी तरह एकजुट रहेंगे। गंभीर एवं संयंमित भाषा का उपयोग करने वाले राजनाथ सिंह कई कारणों से उत्तर प्रदेश नहीं जाना चाहेंगे। एक प्रमुख कारण है कि देश को गृहमंत्री का पद छोड कर उत्तर प्रदेश तक राजनाथ सिमट कर नहीं रहना चाहेंगे। दूसरी बात यह है कि गृह मंत्री के रुप में राजनाथ सिंह का अब तक का कार्य काफी जोरदार एवं प्रभावशाली रहा है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि राजनाथ सिंह के उत्तर प्रदेश जाने से उनके कद का गृहमंत्री खोजना पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पहले से गोवा चले गए हैं और वहां के मुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया। केन्द्र में रक्षा मंत्री का पद खाली हो चुका है। वैसे में राजनाथ सिंह उत्तरप्रदेश चल जाते हैं तो गृहमंत्री का पद भी खाली हो जाएगा। इन दो भारी भरकम एवं महत्वपूर्ण पदों के लिए भाजपा को कद्दावर नेताओं का चयन करना होगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के चयन के लिए पर्यवेक्षकों का उत्तर प्रदेश दौर भी रद्द कर दिया गया है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि यदि राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश नहीं जाते हंै, तो पार्टी को नेता के चयन के लिए कई विकल्पों पर चर्चा करनी होगी।
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं रेलवे राज्य मंत्री मनोज सिन्हा इस पद के लिए प्रबल दावेदार हैं। हालांकि मनोज सिन्हा ने भी कह दिया है कि उनके पास दो दो मंत्रालय हैं। अत: उनका उत्तर प्रदेश जाने का इरादा नहीं है। मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष के करीबी हैं लेकिन जातीय समीकरण उनके पक्ष में जाता नजर नहीं आ रहा है। मनोज सिन्हा भूमिहार जाती से आते हंै ंजिसकी आबादी महज डेढ प्रतिशत है। इसके विपरीत केशव प्रसाद मौर्य चुनाव में काफी मेहनत की और वह पिछडे वर्ग से आते हैं। दो अन्य नामों दिनेश वर्मा एवं योगी आदित्य नाथ पर भी चर्चा हो रही है, परन्तु भाजपा हिन्दू ब्रैंडेड नेता योगी आदित्य नाथ को मुख्य मंत्री बनाने की जोखिम नही उठायेगी। कैशव प्रसाद मौर्य की प्रशासनिक क्षमता का आकलन अभी नहीं हो सका है।
राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनमें अदभुत प्रशासनिक क्षमता भी है। अब यह तय है कि लखनऊ में विधायक दल की बैठक होगी जिसमें नेता के नाम पर मुहर लग सकती है।
भाजपा नेतृत्व हर हाल में एक काबिल एवं दमदार नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी। भाजपा वैसे नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी जो वहां काम कर दिखाएंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का चयन भी 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किया जाएगा। मालूम हो कि उत्तरप्रदेश में 14 साल बाद भाजपा का वनवास खत्म हुआ है इसलिए भाजपा वहां विकास को नयी दिशा देने का प्रयास करेगी।