
पुरुषों में बढ़ रहा प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाशिया की समस्या
| | 29 Nov 2017 6:45 AM GMT
संजीत कुमार रांची : जिस तरह से महिलाएं उम्र बढ़ने पर रजो निवृति से प्रभावित होती हैं,...
संजीत कुमार
रांची : जिस तरह से महिलाएं उम्र बढ़ने पर रजो निवृति से प्रभावित होती हैं, उसी तरह से पुरुष बिना इन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाशिया (बीपीएच) से प्रभावित होते हैं। इस समस्या में प्रोस्टेट असामान्य रूप से बढ़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि झारखण्ड के लोग अपने स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर काफी अनजान रहते हैं। वे छोटे मोटे परिवर्तनों एवं लक्षणों को नजर अंदाज करते हैं। 40 साल से अधिक उम्र को लोगों को हर साल में एक बार प्रोस्टेट हेल्थ चेकअप कराना चाहिए। अधिक शराब पीने एवं कैफीनयुक्त पेय पीने से मूत्राशय में परेशानी आ सकती है और बीमारी बढ़ सकती है। वजन कम करने और वजन को नहीं बढ़ने देने से रेडमीट कम खाने सीतथाफल सब्जियों का सेवन अधिक करने से बीपीएच को रोकने में मदद मिलती है। शरीर के वजन को स्वास्थ्य के मानकों के अनुरूप बनाए रखने तथा हार्मोन स्तर पर नियंत्रण रखने में शारीरिक श्रम का बहुत महत्व है।
रांची के यूरोलॉजिस्ट स्टोन व यूरोलॉजी क्लीनिक के डॉ राजकुमार शर्मा बताते हैं कि बीपीएच उम्र बढ़ने के साथ बढ़ने वाली बहुत ही आम समस्या है। यह देखा गया है कि 60 वर्ष तक की आयु वाले 50 प्रतिशत से अधिक पुरुषों में बीपीएच हो जाता है और 85 वर्ष की उम्र होने तक 90 प्रतिशत पुरुषों में यह समस्या होती है। नवम्बर की माह पुरुषों के अच्छे स्वास्थ के लिए समर्पित किया गया है। प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने से मूत्र त्याग में दिक्कत होती है। अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाना पड़ता है और जब व्यक्ति मूत्र त्याग करता है तो उसे सनसना हट होती है, लेकिन जब व्यक्ति मूत्र त्याग करने की कोशिश करता है तो वह संतोषजनक तरीके से पेशाब नहीं कर पाता। डॉ राजकुमार शर्मा कहते हैं कि पूरी तरह से मूत्राशय खाली कर पाने में असमर्थता और इससे जुड़ी हुई मूत्र संबंधी अन्य समस्याओं के कारण पुरुष परेशान हो जाते हैं और इसका असर उनके सामान्य स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोस्टेट के बढ़ने की समस्या धीरे-धीरे हृदय रोग एवं मधुमेह की तरह समान्य समस्या का रूप धारण कर रही है। यह देखा गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक पुरुष बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण रात में दो बार से अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाते हैं। अगर बीपीएच के कारण मूत्राशय में रूकावट होता था इसका इलाज नहीं हो तो बार-बार मूत्र मार्ग संबंधी संक्रमण मूत्राशय में पथरी और क्रोनिक किडनी रोग हो सकते हैं। ज्यादातर पुरुष बढ़े हुए प्रोस्टेट का महीनों तक और यहां तक कि वर्षों तक कोई इलाज नहीं कराते। डिजिटल रेक्टल टेस्ट (डीआरई) और प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजनटेस्ट (पीएसए टेस्ट) ऐसे दो परीक्षण हैं जो यह पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि क्या उस व्यक्ति को प्रोस्टेट रोग का अधिक खतरा है या नहीं। जिस व्यक्ति को बीपीएच होता है, उसमें पीएसए स्तर बढ़ा हुआ होता है।
रांची
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