
पुरुषों की तरह ही महत्वाकांक्षी हैं भारतीय कामकाजी महिलाएं
| | 13 Dec 2017 5:42 AM GMT
मुंबई : भारतीय कामकाजी महिलाओं में 87 फीसदी अपने करियर में उन्नति पाना चाहती हैं। इस सर्वेक्षण में...
मुंबई : भारतीय कामकाजी महिलाओं में 87 फीसदी अपने करियर में उन्नति पाना चाहती हैं। इस सर्वेक्षण में उस आम धारणा को चुनौती मिली है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम महत्वाकांक्षी बताया जाता है।
इस सर्वेक्षण को वैश्विक प्रबंधन सलाहकार कंपनी बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी)ने 'फ्रॉम इंटेनशन टू इम्पैक्ट: ब्रिजिंग द डायवर्सिटी गैप इन द वर्कप्लेस' शीर्षक के तहत किया है। इस सर्वेक्षण में सिर्फ 60 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उनकी कंपनी ने विविधता को बढ़ावा दिया है जबकि सिर्फ 29 फीसदी ने कहा कि उन्हें ऐसे कार्यक्रमों से लाभ पहुंचा है।
इसके विपरीत 73 फीसदी पुरुषों का मानना है कि कार्यस्थल प्रबंधन लैंगिक विविधता के प्रति प्रतिबद्ध है। इससे पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष कंपनी की लैंगिक प्रतिबद्धता को लेकर ज्यादा आशावादी हैं। बीसीजी की साझेदार व निदेशक प्रियंका अग्रवाल ने सोमवार को एक बयान में कहा, ''लैंगिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए पुरुष कर्मचारियों को शामिल करना महत्वपूर्ण है। लैंगिक विविधता के समर्थन व प्रगति से पुरुषों का मजबूत संबंध है।''
न्यू यॉर्क : सोयाबीन उत्पाद जैसे सोया दूध व पनीर और सब्जियां जैसे बंदगोभी, पत्तागोभी और हरी फूलगोभी यानी ब्रॉकली खाने से ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। ब्रेस्ट कैंसर की की रोकथाम के लिए जो उपचार हैं उनमें शरीर में ऐस्ट्रोजेन नामक हार्मोन का उत्पादन व उपयोग को रोक दिया जाता है क्योंकि इस हार्मोन से ब्रेस्ट कैंसर के फोड़े के विकास को बल मिलता है, जिससे मरीज के शरीर में गर्मी व उबाल सा महसूस होता है, रात में पसीने आते हैं और रजोनिवृत्ति के लक्षण दिख सकते हैं।
जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं के अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि पत्तागोभी और ब्रॉकली जैसी सब्जियां और सोयाबीन से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले मरीजों में रजोनिवृत्ति के लक्षण कम देखने को मिले। यही नहीं, ज्यादा सोयाबीन उत्पाद खाने वाले मरीजों में कम थकान की रिपोर्ट मिली। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक जैव सक्रिय भोजन के अवयव जैसे-सोयाबीन के खाद्य उत्पाद में आईसोफ्लेवन्स और क्रूसिफेरस वेजिटेबल्स में पाये जाने वाले ग्लूकोसिनोलेट्स फायदे के स्रोत हो सकते हैं। आईसोफ्लवन्स से ऐस्ट्रोजन ग्राही में बंद हो जाता है और इस तरह दुर्बल ऐस्ट्रोजेनिक प्रभाव कार्य करता है। वहीं, क्रूसिफेरस वेजिटेबल्स में मौजूद ग्लूकोसिनोलेट्स से उपापचय में शामिल पाचक रस (मेटाबोलाइजिंग इंजाइम्स) के स्तर पर असर पड़ता है। इससे सूजन व ऐस्ट्रोजेन के स्तर व्यवस्थित होते हैं और उपचार संबंधी लक्षण संभवतया कम होते हैं।
जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के लोमबार्डी कांप्रिहेन्सिव कैंसर सेंटर के इस शोध के प्रमुख लेखक सारा ओपनीयर नोमूरा ने बताया कि यह अध्ययन उपचार के दुष्प्रभावों से संबंधित जीवन पद्धति के कारकों जैसे- खानपान की आदतों की संभावित भूमिका पर शोध की मुख्य कमी को दूर करता है। ब्रेस्ट कैंसर रिचर्स एंड ट्रीटमेंट में प्रकाशित इस शोध अध्ययन में 173 गैर-हिस्पेनिक ''ाइट और 192 चीनी मूल की अमेरिकी महिलाओं को शामिल किया गया था। अध्ययन में ज्यादा सोयाबीन उत्पाद का सेवन करने वाली महिलाओं में जोड़ों में दर्द की तकलीफें, बाल कम होने या झड़ने व याद्दाश्त की समस्याएं कम देखने को मिली। हालांकि इसका सांख्यिकी संबंधी आधार नहीं है। अनुसंधानकर्ताओं ने इस संबंध में यह चेतावनी दी है कि जब तक और ज्यादा अध्ययन नहीं किया जाता तब तक मरीजों को एकाएक सोया उत्पाद खाना शुरू नहीं करना चाहिए।