
कोयले के खनन में कई बडे़ माइनर मैदान में आएंगे
| | 2018-02-23T12:00:42+05:30
रांची : कोयले के खनन में कोल इंडिया का 43 वषार्ें का एकाधिकार खत्म होने जा रहा है। निजीकरण के खिलाफ...
रांची : कोयले के खनन में कोल इंडिया का 43 वषार्ें का एकाधिकार खत्म होने जा रहा है। निजीकरण के खिलाफ श्रमिक संगठनों की ओर से आवाज उठने लगी है। निजी क्षेत्रो के दरवाजा खुलने के बाद अडानी समूह, टाटा स्टील एस्सार, वेदांता सहित अन्य माइनिंग कंपनियां कोयला खदानों के लिए बोली लगाएगी। कारपोरेट सेक्टर ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। माना जा रहा है कि निजी कंपनियांे के खनन के मैदान में कुदने से देश में कोयले का उत्पादन भढेगा एवं पावर प्लांटो के लिए कोयले की कमी नहीं होगी।श्रमिक संगठनों को की चिंता है कि निजी कंपनियां मजदूरों को बहुत कम वेतन देगी। वर्तमान में कोल इंडिया के कामगारों को न्यूनतम 40 हजार रुपए मिलती है जब कि निजी कंपनियां 10 से 15 हजार रुपए तक वेतन देगी। कारपोरेट सेक्टर का मानना है कि निजीकरण से कोयले के उत्पादन में दक्षता बढेगी। कारपोरेट जगत यह भी मानता है कि कोल इंडिया के कामगरों की दक्षता कम है जो निजीकरण के बाद बढेगी। यदि कोयले का उत्पादन बढेगा तो आने वाले वषार्े में लगने वाले पावर प्लांटो को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति की जा सकेगी। सरकार ने यह कदम कोयले के मुल्य में कमी करने के साथ-साथ बिजली के दाम में भी कमी लाने के लिए उठाया है। निजी कंपनियों के लिए भी कोल ब्लाकों से कोयले से खनन करना आसान नहीं होगा। बहुत से कोल मांइस में कोयले का भंडार काफी नीचे चला गया है। सरकार कोयले के उत्पादन को लागत भी कम करना चाहती है। इतना तो तय है कि समबद्ध राज्य सरकार कोल खनन की एवज में ज्यादा रायल्टी की मांग करेगी।
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