
सर्वहितकारी ग्रंथ-रामचरित मानस
संत गोस्वामी तुलसीदास जी कृत रामचरित मानस के नाम से आज कौन परिचित नहीं है। यदि हम यह कहें कि यह...
संत गोस्वामी तुलसीदास जी कृत रामचरित मानस के नाम से आज कौन परिचित नहीं है। यदि हम यह कहें कि यह ग्रंथ विश्व का अत्यधिक लोकप्रिय ग्रंथ है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सभी जाति व धर्म के लोग इसका श्रध्दा सहित पठन कर रहे हैं। यही कारण है कि इसका सभी भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध है। जिस तरह गुलाब का फूल बारह मासी होती हैं तथा हर क्षेत्र, हर रंग में पाया जाता है। उसी तरह रामचरित मानस का पाठ भी हर घर में आनन्द व उत्साहपूर्वक होता है। आज सभी धर्मों के प्रमुख सत, महात्मा, आचार्य, कथावाचक, अपने प्रवचनों में मानस की मर्म स्पर्शी व सारगर्भित चौपाइयों व दोहे का ही उदाहरण देकर अपने कथन की पुष्टि करते हैं। विद्वान साहित्यकार भी अपने आलेखों में मानस की पंक्तियों का उल्लेख कर अपनी बात को प्रमाणित करते हैं। तात्पर्य यह है कि मानस हमारे लिए आज भगवान श्रीराम का रूप है तथा इसके द्वारा सामाजिक, पारिवारिक, राजनैतिक सभी समस्याओं का समाधान संभव है।
लोक के लिए प्रत्येक मनुष्य को इस लोक में सुख-शांति तथा सुयश चाहिए। अपने यश सम्मान को बनाए रखने तथा प्राप्त करने के लिए आप नित्य श्री रामचरित मानस का पाठ करें।
परलोक के लिए कलियुग केवल हरिगुण गाहा,
गावत नर पावहिं भव थाहा। (मानस)
अत: श्री रामचरित मानस का पाठ तथा भगवान का जप ये दो ऐसे साधन हैं, जो परलोक के लिए आज सबके सम्बल है, इनका आश्रय लीजिए, इन्हें अपने दैनिक जीवन का अंग बना लीजिए। आपको निश्चय ही मोक्ष की प्राप्ति होगी।
प्राणी मात्र के लिए- जबकि आज मनुष्य भाग्य परायण व निरंकुश हो गया है। ऐसी परिस्थिति में सम्पूर्ण प्राणियों के हित के लिए यदि कोई सुगम साधन है तो वह है श्री रामचरित मानस का पाठ। पूर्वज पितरों के लिए पितरों के प्रति आपका कुछर् कत्तव्य है इसलिए आप श्राध्द अवश्य करें। किन्तु एक सुगम उपाय है पितरों को संतुष्ट करने का, वह है आप उनके निमित्त मानस का नवान्ह परायण करें और राम नाम का जप करें। इससे उनकी आत्मा को शान्ति मिलेगी। उनको उत्तम लोक मिलेंगे उनके अशुभ नष्ट होंगे तथा आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
मानस सूक्तियां- रामचरित मानस के हर पद में महाकवि तुलसीदास के चिंतन, विचारों, अनुभवों के अमृतकण सूक्तियों के रूप में बिखरे हैं।