
सभी के हैं भगवान् श्री चित्रगुप्त
विवेक श्रीवास्तवदुनिया में न्याय व्यवस्था के संचालन और लेखा जोखा रखने के लिए ही ब्रह्मा जी की काया...
विवेक श्रीवास्तव
दुनिया में न्याय व्यवस्था के संचालन और लेखा जोखा रखने के लिए ही ब्रह्मा जी की काया से भगवान श्री चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति हुई। श्री चित्रगुप्त भगवान समाज को व्यवस्थित करने में न्यायविद के रूप में सामने आते है यानी की उनके सामने सभी एक सामान और एक जैसे हैे जिस ने भी इस धरती पर मानव रूप में जन्म लिया है उसके जीवन का लेखा जोखा भगवान् श्री चित्रगुप्त जी द्वारा ही रखा जाता है, फिर भगवान् चित्रगुप्त जी सिर्फ कायस्थों तक ही सीमित क्यों और कोई भी भगवान् सिर्फ किसी एक जाति विशेष के नहीं होते। भगवान् श्री चित्रगुप्त जी कोई मिथकीय पुरुष या देव नहीं बल्कि ये वो आदि देव है जिनकी उत्पत्ति की चर्चा पद्म पुराण, भविष्य पुराण, माकंर्डेय पुराण, स्कंध पुराण, शिव पुराण, भविष्य पुराण, अग्नि पुराण, बारह पुराण, और यम संहिता में मिलती है। इनकी पूजा भगवान् श्री गणेश जी ने की, आत्मज्ञानी राजा जनक ने की, भगवान् राम ने की, गंगा पुत्र भीष्म पितामाह ने इनकी पूजा कर ही इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त किया था। ऐसा उल्लेख रामायण और महाभारत में आया है। भारत का प्राचीन, पौराणिक, धार्मिक संस्कृतिक नगरी उज्जैन में ही सृृष्टि रचयिता श्री ब्रह्मा जी ने ११ हजार वर्षों तक तपस्या की। ब्रह्मा जी के तेज से उत्पन्न श्री चित्रगुप्त जी ने भी इसी तपोभूमि पे १० हजार वर्षों तक तपस्या की और ज्ञान प्राप्त किया, इसी लिए यहां बहुत ही प्राचीन चित्रगुप्त धाम है।
ईसा के ४०० वर्ष पूर्व मुद्राराक्षस ने ही पटना के दीवान मोहल्ला में गंगा किनारे स्थित श्री चित्रगुप्त आदि मंदिर (चित्रगुप्त घाट ) के स्थान पर ही यम द्वितिया के दिन भगवान् श्री चित्रगुप्त जी की सामूहिक पूजा की प्रथा प्रारंभ की थी। चाणक्य की बहुचर्चित ऐतिहासिक पर्णकुटी भी इसी चित्रगुप्त घाट पर थी। सन् १५७३ की यम द्वितिया पर राजा टोडरमल वही पर भगवान् श्री चित्रगुप्त जी की पूजा करने के पश्चात् भगवान् श्री चित्रगुप्त जी की काले कसौटी पत्थर की बनी प्रतिमा की स्थापना की और भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया।
सिर्फ यही नहीं ऐसी और बहुत सी पौराणिक कथाएं और बहुत से प्राचीन चित्रगुप्त मंदिरों के साथ-साथ भगवान् श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर देश के लगभग सभी जिलों में विराजमान है। ईश्वरीय शक्ति को मानने वाले और हिन्दू धर्म में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को भगवान् श्री चित्रगुप्त जी की वास्तिवकता, भव्यता और संचालन कार्यकुशलता को समझना चहिये, उनकी आस्था और आराधना के बिना जीवन की सभी तपस्याएं अधूरी है, एकमात्र जीवित आदि देव, देवोदेव भगवान् श्री चित्रगुप्त जी ही हैं जो आज भी न्याय व्यवस्था के संचालन और लेखा जोखा में कार्यरत हैं और जो भी कलम का प्रयोग करता है तो उसके आराध्य सर्वप्रथम भगवान् श्री चित्रगुप्त जी ही सर्वोपरी है।
भगवान् श्री चित्रगुप्त जी की पूजा, अर्चना और आरती प्रतिदिन सुबह अपने घर पर अवश्य करनी चहिये और हर बृहस्पतिवार को निकटतम चित्रगुप्त मंदिर जाना चाहिए, फिर देखिये आप की मनोकामनाएं कितनी जल्दी पूरी होती है, जीवन में सुख-शांति कितनी जल्दी आती है।
शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि यानी की दीपावली (अमावश्या) के दूसरे दिन चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व है। उस दिन सामूहिक रूप से भगवान् श्री चित्रगुप्त जी की और कलम दवात की पूजा अर्चना करना अति फलकारी होता है।