
सबको पहाड़ी मंदिर पर तिरंगा फहरने का इंतजार, तैयारियां अंतिम चरण में
रांची : रांची पहाड़ी का गौरवपूर्ण ऐतिहासिक गाथा रही है लेकिन 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की...
रांची : रांची पहाड़ी का गौरवपूर्ण ऐतिहासिक गाथा रही है लेकिन 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर यह पहाड़ी मंदिर विश्व में रिकार्ड बनाने जा रहा है। राष्ट्रगान के बीच 293 फुट की ऊंचाई पर जब राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा तब पूरी रांची गौर्वान्वित हो उठेगी। मालूम हो कि देश के रक्षा मंत्री मनोहर पन्निकर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। शहर में जगह जगह होर्डिंग लग रही है जिसमें विश्व में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अवसर पर आयोजित होने वाले समारोह की जानकारी दी गयी है। पहाड़ी मंदिर निर्माण समिति, राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन राष्ट्रीय ध्वज फहराने की तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। रांची पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर का रांची के जनजीवन में अलग स्थान है। शहर के पश्चिम में स्थित इस शिव मंदिर में सावन माह में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भगवान शिव की जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करने वालों की इतनी भीड़ रहती है कि सम्पूर्ण पहाड़ी मंदिर परिसर में पांव रखने तक की जगह नहीं रहती। पहाड़ी मंदिर के शीर्ष स्थान से पूरे शहर का नजारा देखा जा सकता है जो अद्भुत लगता है। रांची पहाड़ी की लंबे अर्से से ख्याति रही है परन्तु कई शिव भक्तों के प्रयास से आज न केवल पहाड़ी बल्कि मंदिर का स्वरूप भी बदल गया है। कभी पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां तक नहीं थी। कच्चे टेढ़े-मेढ़े रास्ते से भक्त मंदिर में पहुंचते थे परन्तु आज तस्वीर बदल गयी है। पहाड़ी के चारों तरफ हरियाली है। पक्की सीढ़ियां हैं जिन पर चल कर भक्तगण मंदिर पहुंचते हैं। पहाड़ी मंदिर की लोकप्रियता बढ़ती चली गयी और अब तो यहां विवाह भी होते हैं। पहाड़ी मंदिर रांची शहर के लिए लैंडमार्क है।
रांची रेलवे स्टेशन से आठ किलोमीटर तथा एयरपोर्ट से बारह किलोमीटर दूर यह पहाड़ी मंदिर अवस्थित है। फरवरी एवं अक्तूबर के बीच मंदिर में भारी भीड़ रहती है। संक्रांति के अवसर पर भी भीड़ रहती है।
पहाड़ी मंदिर को पहाड़ी बाबा भी कहा जाता है। पहाड़ी मंदिर में भगवान शिव का लिंग स्थापित है। इस पहाड़ी को टिरीवुरु भी कहा जाता था। इस पहाड़ी मंदिर से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का भी सुन्दर नजारा देखा जा सकता है।
ब्रिटिश हुकूमत के समय पहाड़ी का नाम फांसी टुंगरी में बदल गया। अंग्रेजों के राज में देश भक्तों एवं क्रांतिकारियों को इसी पहाड़ी पर फांसी पर लटकाया जाता था।
आजादी के बाद रांची में पहला तिरंगा इसी पहाड़ी पर फहराया गया था। रांची के ही एक स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण चन्द्र दास ने पहली बार पहाड़ी पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। उसके बाद से इस पहाड़ी पर स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की परम्परा बन गयी जो आज भी जारी है। तिरंगा को मंदिर के ध्वज से ज्यादा ऊंचाई पर फहराया जाता है। पहाड़ी बाबा मंदिर में एक शिलालेख है जिस पर 14 अगस्त 1947 को देश की आजादी संबंधी घोषणा अंकित है। पहाड़ी मंदिर समुद्र तल से 2140 मीटर तथा धरातल से 350 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
पहाड़ी पर जितने भी मंदिर बने हैं उनमें नागराज मंदिर सबसे पुराना है। बताया जाता है कि छोटानागपुर के नागबंशियों का इतिहास यही से शुरू हुआ।
पहाड़ी मंदिर एक आकर्षण का केन्द्र है। इसका आकर्षण उस दिन और भी बढ़ जाएगा जब रक्षा मंत्री मनोहर पन्निकर विश्व के सबसे ऊंचे स्तम्भ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। सबको 23 जनवरी का बेसव्री के साथ इंतजार है।