
शिक्षा से ही होगा महिला सशक्तीकरण
''यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं, तब आप केवल एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं यदि आप एक महिला को...
''यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं, तब आप केवल एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, आप सम्पूर्ण परिवार को शिक्षित करते हैं। महिला सशक्तीकरण से तात्पर्य भारत माता के सशक्तीकरण से है।''
- पं. जवाहरलाल नेहरू
महिलाओं को शिक्षित करना देश की उन्नति में एक महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक भूमिका अदा करता है क्योंकि यह घर एवं घर के बाहर बेहतर स्तर के जीवन निर्माण को सुनिश्चित करता है। उच्च शिक्षा द्वारा अपेक्षित ज्ञान व कौशल से लैस होने के कारण नए अवसरों की उपलब्धि महिलाओं को सशक्त बनाती है। यह एक मोड़ उन्हें विश्वास देता है तथा यह 'अर्जित' विश्वास उन्हें इच्छा व दृढ़ निश्चय की क्षमता प्रदान करता है कि वे 'एक बेटी, एक पत्नी, एक मां, एक बहन, एक कर्मचारी और इन सभी से परे बातौर महिला' अपने अधिकारों को जाने एवं उनकी अभ्यस्त हों। शादी विवाह, परिवार संख्या, स्वास्थ्य व स्वच्छता पर लिए गए निर्णयों में उसे (परिवार की महिला सदस्य) को 'सूचित' किया जाए एवं वह स्वयं विचारशील हो। एक बच्चे के विकास एवं शिक्षा पर मां का प्रभाव अकाट्य होता है। बल्कि विकास एवं प्रसन्न समाज के सभी मानक महिला सशक्तीकरण से होकर गुजरते हैं। यह दोनों, आर्थिक निर्देशक जैसे-रोजगार, उत्पादकता, सकल घरेलू उत्पाद आदि एवं सामाजिक निर्देशक जैसे- जनसंख्या, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि पर प्रत्यक्ष एवं साकारात्मक प्रभाव डालते हैं। अंतत: यह सतत् विकास का नेतृत्व करता है यह सिध्द हो चुका है। भारत में राजा राम मोहन राय ने महिलाओं की मुक्ति एवं उत्थान के लिए आन्दोलन प्रारम्भ किया था। महात्मा गांधी ने भी स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं को शामिल किया था। यह दोनों महान व्यक्तित्व इस विषय में सचेत थे कि महिला समाज में क्या भूमिका अदा कर सकती है। महिलाओं के दुर्दशा के प्रति लोगों में जागरूकता लाने एवं उनके सशक्तीकरण के लिए रविन्द्र नाथ टैगोर ने महिलाओं से संबन्धित विषयों को अपने लेखन में गढ़ा, और आज भी असंख्य उदाहरण देखे जा सकते हैं जहां लड़कियां अपनी शिक्षा का त्याग इसलिए करती हैं क्योंकि उनके भाई की शिक्षा को अधिक मान्यता दी जाती है या केवल इसलिए क्योंकि वह केवल एक लड़की हैं और एक सीमा से बाहर उसे शिक्षित नहीं होना है। भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्रता के पश्चात् से कई योजनाएं प्रस्तावित की गयी हैं एवं कई क्षेत्रों में कुछ हद तक सफलता भी प्राप्त की परन्तु अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यक्ता है। महिलाओं का उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए प्रेरित किया जाना विकास उपकरण के रूप में नहीं लाया जाता। हालांकि यह एक शासन कला है, जो सुविमश्ति, योजनाबध्द एवं सभी के द्वारा ईमानदारी व निष्ठापूर्वक कार्यान्वित की जानी चाहिए। उच्च शिक्षा न केवल बुध्दि का विकास करती है बल्कि विषयों को उचित परिपेक्ष्य में 'समझने' की क्षमता प्रदान करती है। एक महिला सही अर्थ में तभी सशक्त होती है जब वह आवश्यक दक्षता से लैस हो, जो उसे उच्च शिक्षा द्वारा प्राप्त हो, अपनी वाचन शक्ति का प्रयोग अपने बौध्दिक विचारों की अभिव्यक्ति में करे, एवं परिणामों की परवाह किए बिना निर्णय पर अडिग रहे। इसके लिए आवश्यक है कि वह आत्मनिर्भर हो व स्वमूल्यों की जानकार हो, स्वयं की स्वामिनी हो, न कि कोई और उसके जीवन व निर्णयों को नियंत्रित करे। सशक्तीकरण महिलाओं को अपने दृढ़मत द्वारा पुरानी मान्यताओं एवं गलत प्रत्यक्षीकरण को बदलने की मान्यता प्रदान करता है।