
शहीद राजेश को अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम विदाई, पिता ने दी मुखाग्नि
| | 2016-09-20T14:17:53+05:30
जौनपुर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकवादी हमले में शहीद हुए राजेश सिंह का जौनपुर के रामघाट...
जौनपुर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकवादी हमले में शहीद हुए राजेश सिंह का जौनपुर के रामघाट पर मंगलवार को अंतिम संस्कार हुआ। उनके पिता राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। सेना के जवानों ने शहीद को गार्ड आॅफ आॅनर दिया। इस मौके पर डीएम भानुचन्द्र गोस्वामी और एसपी अतुल सक्सेना मौजूद रहे।
शहीद राजेश कुमार सिंह का अंतिम संस्कार करने के लिए उनका पार्थिव शरीर करीब दस बजे नगर के रामघाट पर पहुंचा। यहां पर पूरे वैदिक रीति-रिवाज से गोमती नदी के पावन तट पर उनका शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। यहां बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हे नम आंखो से अंतिम विदाई दी। इस मौके पर कश्मीर से आये सेना के अधिकारी और सीओ सिटी समेत कई थानो की फोर्स मौजूद रही।
शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार की शाम उनके गांव भकुरा पहुंचा। इसे देख गांव में कोहराम मच गया। माता-पिता, पत्नी समेत पूरे परिवार की चीत्कार सुनकर पूरा इलाका दहल गया। मौके पर मौजूद लोगों की भी आंखें नम हो गयीं। लोगों ने उनका अंतिम दर्शन किया। किसी तरह से साथ आये सेना के अधिकारियों ने गार्ड आॅफ आनर देने के बाद अंतिम संस्कार के लिए जब शव रामघाट के लिए कूच किया तो पूरा इलाका एक बार फिर से मातम में डूब गया।
शहीद राजेश सिंह की परिवारिक पृष्ठभूमि
जौनपुर जिले के सरायखाजा थाना क्षेत्र के भकुरा गांव के निवासी राजेन्द्र प्रसाद सिंह के तीन पुत्र उमेन्द्र सिंह, राकेश सिंह व राजेश सिंह। उमेन्द्र और राकेश लखनऊ में अपना निजी व्यापार करते है। दोनों भाई पूरे परिवार के साथ वहीं रहते है। तीसरे नम्बर का पुत्र राजेश सिंह थे, जो आतंकवादी हमले में शहीद हो गए।
छह वर्षीय पुत्र के साथ पत्नी जुली रहती थी बनारस
शहीद का विवाह जुली सिंह के साथ हुआ। इनकी पत्नी जुली सिंह अपने 6 वर्षीय पुत्र रिशांत को पढ़ाने के उद्देश्य से वाराणसी में रहती हैं। गांव में माता बरमावती देवी और पिता राजेन्द्र सिंह रहते हुए खेती करते हैं। राजेश मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर बारामुला जिले के उड़ी में तैनात था।
देश के लिए कर गुजरने की थी ख्वाहिश
शहीद राजेश सिंह शुरुआती कक्षाओं से पृथ्वीराज चौहान से प्रभावित थे। उनकी जुबान पर अक्सर चंद्र बरदाई की वीर रस की कविताएं रहती थीं ‘‘चार बांस, 24 गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान अब मत चूको चौहान।’’ वह आठ वर्ष पूर्व 2009 में देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती हुए थे। कई जगह पोस्टिंग के बाद कश्मीर में पोस्टिंग हुई।
ज्ञातव्य है कि रविवार की भोर जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन दस्ते के आंतकियों द्वारा सेना के ब्रिगेड मुख्यालय ‘उरी’ पर किए गए हमले में शहीद हुए 18 जांबाज सैनिको में राजेश सिंह भी थे।