
वार्षिकी : क्रिकेट और हॉकी के नाम रहा साल, बाकी खेलों ने निराश किया
| | 2016-12-27T16:44:13+05:30
नई दिल्ली (हि.स.)। क्रिकेट छोड़ दें तो वर्ष 2016 भारतीय खेल जगत के लिए कोई खास नहीं रहा। टेस्ट...
नई दिल्ली (हि.स.)। क्रिकेट छोड़ दें तो वर्ष 2016 भारतीय खेल जगत के लिए कोई खास नहीं रहा। टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम ने न सिर्फ विश्व नंबर-एक बनने का श्रेय हासिल किया बल्कि लगातार 18 टेस्ट में अजेय रहने का रिकॉर्ड भी बनाया। दूसरी ओर रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। पहली बार दोहरी संख्या में पदक जीतने के दावे के बीच रियो पहुंचे ज्यादातर भारतीय खिलाड़ियों के खेल कौशल को मानो 'जंग' लग गया। आखिरकार महिला शक्ति के रूप में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक ने ताकत दिखाते हुए सम्मान को कुछ हद तक बचाया। हॉकी में भारत की जूनियर विश्वकप में जीत और विजेंदर की प्रोफेशनल बॉक्सिंग में धमाकेदार एंट्री भी चर्चा में रही।
पंद्रह साल बाद भारत ने जीता जूनियर हॉकी विश्वकप-
जीत के अश्वमेध रथ पर सवार भारतीय टीम पंद्रह बरस बाद जूनियर हॉकी विश्व कप का खिताब अपने नाम किया। भारत ने बेल्जियम को 2-1 से हराकर भारत देशवासियों को अर्से बाद हॉकी के मैदान पर खिताब तोहफे में दिया। इससे पहले 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारतीय टीम ने अर्जेंटीना को 6-1 से हराकर एकमात्र जूनियर विश्व कप जीता था।
ओलंपिक में पदक विजेता भारतीय टीम-
रियो ओलंपिक के लिहाज से यह साल भारत के लिए कभी न भूल पाने वाला साल रहेगा। बैडमिंटन में भारत को पीवी सिंधु ने रजत पदक दिलाया तो साक्षी मलिक कुश्ती में कांस्य लेकर आईं। दीपा कर्माकर ऐसा नाम रहीं जो पदक तो नहीं लाई लेकिन छा गईं। वह चौथे स्थान पर रहीं। साक्षी ने ब्राजील में भारत के लिए पहला पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। भारत जब रियो में पदक के लिए जूझ रहा था तब साक्षी मलिक ने उसके लिए संजीवनी का काम किया। बाद में बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने रजत पदक हासिल किया। साक्षी ने महिलाओं के 58 किग्रा फ्रीस्टाइल के कांस्य पदक के लिए खेले गए प्लेऑफ मुकाबले में 0-5 से पिछड़ने के बाद किर्गिस्तान की आइसुलु टिनिबेकोवा को 8-5 से हराया।
रियो ओलंपिक में मामूली अंतर से पदक से चूकने के बावजूद इतिहास रचने वाली दीपा कर्माकर ने भारत में गुमनाम से इस खेल को कुछ यादगार पल दिए। त्रिपुरा के छोटे से गांव की 23 बरस की दीपा क्रिकेट के दीवाने देश की नूरे नजर बन गईं जब वह रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहीं। पदक नहीं जीत पाने के बावजूद उसने करोड़ों देशवासियों का दिल जीता और प्रोडुनोवा जैसे रोमांचक खेल को अंजाम दिया जिसका जोखिम रूस और अमेरिका के जिम्नास्ट भी नहीं उठाते।
टेनिस में सानिया ने किया कमाल
सानिया अपने अद्भुत प्रदर्शन के बल पर भारतीय टेनिस जगत पर अकेली छाई रहीं। अमेरिका की बेथानी माटेक सैंड्स के साथ सिडनी इंटरनेशनल्स खिताब जीतने के बाद स्विट्जरलैंड की दिग्गज मार्टिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनाना उनके करियर का सबसे अहम फैसला साबित हुआ।
मार्टिना के साथ सानिया ने इस वर्ष दो ग्रैंड स्लैम (विंबलडन और अमेरिकी ओपन) के साथ कुल नौ खिताब जीते, जिसमें वर्षांत पर खेला गया बेहद प्रतिष्ठित डब्ल्यूटीए फाइनल्स खिताब भी शामिल है। सानिया-मार्टिना की जोड़ी ने इस वर्ष कुल 16 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया और उनकी जीत-हार का आंकड़ा 55-7 का रहा। इस दौरान उन्होंने हार्ड कोर्ट पर लगातार 22 मैच जीतने का कारनामा भी किया। लेकिन युगल वर्ग में जहां भारत का सिक्का चमका, वहीं एकल वर्ग में उसका संघर्ष पूर्ववत जारी रहा। विश्व वरीयता में 93वें पायदान पर मौजूद युकी भांबरी भारत के सर्वोच्च वरीय एकल खिलाड़ी रहे और भारतीय टीम डेविस कप वर्ल्ड ग्रुप प्लेऑफ में चेक गणराज्य से हार गई।
विजयी रहे विजेंदर-
देश के ओलम्पिक पदक विजेता विजेंदर सिंह ने इस वर्ष पेशेवर मुक्केबाजी में पदार्पण किया और लगातार तीन मैच नॉकआउट के जरिए जीतकर अंतर्राष्ट्रीय पेशेवर मुक्केबाजी में तहलका मचा लिया। चार बाउट के शुरुआती दोनों मुकाबले जीतने के बाद विजेंदर ने अनुभवी मुक्केबाज सामेट ह्यूसीनोव के खिलाफ छह बाउट का तीसरा मुकाबला खेलना का निश्चय किया, हालांकि मुकाबले से पहले बढ़-चढ़कर बात करने वाले हब्यूसीनोव दो बाउट में ही धराशायी हो गए।
कुश्ती में नहीं हुआ ज्यादा कमाल
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत को लगातार सफलता दिलाने वाली कुश्ती ने देश में लीग क्रांति में प्रवेश किया। हालांकि विश्व चैम्पियनशिप में भारत खास नहीं कर सका और नरसिंह पंचम यादव ने पुरुषों के 74 किलोग्राम भारवर्ग में एकमात्र पदक दिलाया और रियो ओलम्पिक-2016 के लिए क्वालीफाई भी कर लिया।
देश में प्रो रेसलिंग लीग (पीडब्ल्यूएल) के साथ कुश्ती के लीग टूर्नामेंट ने आगाज किया और पहले ही संस्करण में पीडब्ल्यूएल को दर्शकों को भरपूर समर्थन मिला। दुनिया के दिग्गज पहलवानों के बीच बजरंग पुनिया, अमित दहिया, राहुल आवारे, अमित धनकर और रजनीश जैसे युवा प्रतिभाशाली पहलवानों ने अपने दमखम से लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
क्रिकेट में खट्टा-मीठा रहा साल-
देश के सबसे चहेते खेल क्रिकेट के लिए यह वर्ष कुछ खट्टी यादों वाला भी रहा। महेंद्र सिंह धौनी की अगुवाई में 28 वर्ष के अंतराल के बाद 2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम इस वर्ष अपने खिताब का बचाव नहीं कर सकी और ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में हुए विश्व कप के सेमीफाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों हारकर बाहर होना पड़ा।
आईपीएल रहा विवादों में-
क्रिकेट के लिए हालांकि यह उतना बड़ा नुकसान नहीं रहा, जितना इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के दोषी पाए गए अधिकारियों के कारण राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स टीमों को निलंबन होना रहा। दोनों टीमों के निलंबन के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आगामी दो संस्करणों के लिए आईपीएल में दो नई टीमों, पुणे और राजकोट, को खुली और उल्टी नीलामी के जरिए शामिल किया।
टेस्ट में मिला-जुला रहा साल
भारतीय टेस्ट टीम के नवनियुक्त कप्तान विराट कोहली को शुरुआती सफलता भी मिली। हालांकि दक्षिण अफ्रीका के दो महीने लंबे भारत दौरे पर भारतीय टीम को टी-20 और एकदिवसीय सीरीज गंवानी पड़ी। भारत पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला में जरूर दक्षिण अफ्रीका को 3-0 से हराने में सफल रहा, लेकिन नागपुर टेस्ट की पिच ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की काफी किरकिरी कराई।
भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित श्रृंखला पर काफी खींचतान मची रही और अंतत: निराशाजनक तरीके से यह प्रस्तावित द्विपक्षीय श्रृंखला ठंडे बस्ते में चली गई। साल के आखिर में क्रिकेट को भ्रष्टाचार के बादल ने आ घेरा। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर जमकर आरोप लगे।
बैडमिंटन ने किया कमाल-
क्रिकेट से इतर बैडमिंटन में भारत के लिए यह वर्ष नई सफलताओं वाला रहा। सायना नेहवाल ऑल इंग्लैंड ओपन के फाइनल में प्रवेश करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं और विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने वाली भी पहली भारतीय खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया।