
लाभ ही लाभ हैं तुलसी में
| | 2015-09-28T10:53:43+05:30
तुलसी एक ऐसा अनोखा और औषधीय गुणों से भरपूर विलक्षण पौधा है जिसमें अनेक रोगों की चिकित्सीय अद्भुत...
तुलसी एक ऐसा अनोखा और औषधीय गुणों से भरपूर विलक्षण पौधा है जिसमें अनेक रोगों की चिकित्सीय अद्भुत शक्ति है। तुलसी के अन्य नाम जैसे सुरभि, श्याम, वृंदा, रामा, शुलभा, वैष्णवी, गौरी, इत्यादि इसके महात्म्य, धार्मिक एवं सूक्ष्म प्रभावों को ही परिलक्षित करते हैं। वनस्पतियों में भी तुलसी बहुत उपयोगी, गुणों से भरपूर, सस्ती, सुलभ और सुंदर वनस्पति है जिसमें भौतिक दैविक एवं दैहिक तापों से संघर्ष करने की क्षमता है।
तुलसी कनानं चेवगृहे यस्यावतिष्ठते एवं 'तुलसी गंध मांदाम यम गच्छति मारुत:' अर्थात् शास्त्रोनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा हो, वह स्थान पवित्र हो जाता है तथा तुलसी की सुगंध वाली वायु से यम भी नहीं आते। तुलसी का पौधा अक्सर एक से ढाई फुट तक ऊंचा होता है जो विभिन्न शाखाओं में फैला रहता है। पत्ते गोलाई लिये हुए एवं दीर्घवृत्तकार छाया में तीव्र सुगंधयुक्त लम्बे होते हैं जहां मंजरियों में तुलसी के बीज रहते हैं।
यदि स्वस्छ साधारण जल में तुलसी की कुछ पत्तियां भिंगो कर रख दी जावें अथवा उसको थोड़ा सा गरम कर लिया जावे जो वह जल तुलसी के समान ही गुणकारी हो जाता है जिसके सेवन मात्र से ही अनेक रोगों में लाभ प्राप्त हो स्मरण शक्ति तीव्र हो जाती है। बल बुध्दि एवं स्फूर्ति में वृध्दि होने लग जाती है। इसी कारण ही प्राचीनकाल से ही तुलसी जल सेवन की पध्दति धार्मिकता से जुड़ी हुई है जो आज भी यथावत है।
तुलसी के सूखे डंठल पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं, वहीं तुलसी के बीज कई रोगों में रामबाण औषधि का कार्य करते हैं। सौंदर्यवर्धक गुणों से भरपूर तुलसी शरीर के रक्त को शुध्द कर चर्म, मांस एवं हड्डियों में प्रविष्ट हुए रोगों को दूर कर सुंदरता में निखार लाती है। तुलसी की सूखी पत्तियों को पीस कर चेहरे और शरीर पर लेप करने से शरीर स्वस्थ सुंदर बना रहता है।
तुलसीयुक्त चाय पीने से लाभ प्राप्त होता है। तुलसी को हिचकी, श्वांस-खांसी, दुर्गंध रक्तदोष, कोढ़, पित्त, आलस्य, सुस्ती, ज्वर निवारक एवं त्रिदोष नाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह कहना सर्वथा उचित ही होगा कि तुलसी का संपूर्ण पौधा ही फूल पत्तियों से लेकर जड़ तक औषधीय गुणों से भरपूर है।