
राफेल सौदे को मंजूरी
नई दिल्ली(एजेंसी) :- भारत की सबसे बड़ी रक्षा खरीद के तहत 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे पर मुहर लग...
नई दिल्ली(एजेंसी) :- भारत की सबसे बड़ी रक्षा खरीद के तहत 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे पर मुहर लग गई है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की रक्षा मामलों की समिति ने इसे बुधवार शाम मंजूरी दी। गुरुवार को फ्रांस के रक्षा मंत्री दिल्ली आने वाले हैं। शुक्रवार को उनके साथ सौदे का औपचारिक ऐलान होने की उम्मीद है। सौदे को भारत-फ्रांस संबंधों के लिए भी अहम माना जा रहा है। स्कॉर्पीन पनडुब्बी प्रोजेक्ट के सेंसिटिव डॉक्युमेंट लीक होने के बावजूद राफेल सौदे को मंजूरी दी गई। गौरतलब है कि फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस की सहायता से इन दिनों मुंबई में स्कॉर्पीन पनडुब्बी तैयार की जा रही है। भारत ने राफेल विमानों को अमेरिकी कंपनी लॉकहीड और रूसी मिग विमानों से ज्यादा तवज्जो देकर चुना था। फ्रांस खुद राफेल विमानों का इस्तेमाल करता रहा है। इजिप्ट और कतर के बाद राफेल खरीदने वाला भारत तीसरा देश है। इस लड़ाकू विमान का प्रदर्शन अफगानिस्तान, लीबिया और माली में देखा जा चुका है। राफेल सौदे को सोवियत संघ के जमाने के लड़ाकू विमानों को हटाए जाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है, क्योंकि इनके इंजन में समस्या आ रही है और पुर्जे मिलने की भी दिक्कत है। भारतीय वायुसेना ने 2001 में मल्टीरोल वाले लड़ाकू विमानों की जरूरत बताई थी। वायुसेना के पास हल्के और भारी दोनों तरह के लड़ाकू विमान थे। ऐसे में मध्यम वजन के विमानों की जरूरत महसूस की गई। 2007 में तब के रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता वाली परिषद ने करीब 126 विमानों की खरीद के लिए मंजूरी दे दी और टेंडर जारी कर दिए गए। भारत की सबसे बड़ी रक्षा खरीद के टेंडर में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन और बोइंग, यूरोफाइटर (टाइफून), रूसी (मिग-35), स्वीडिश (ग्रीपिन) और फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन (राफेल) शामिल हुईं। एयरफोर्स ने टेस्ट करने के बाद यूरोफाइटर और डसॉल्ट को शॉर्टलिस्ट किया। 2012 में राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट इस सौदे के लिए सबसे अगुवा कंपनी बनकर सामने आई। सबसे कम दाम और आसान मेंटिनेंस के कारण उसे सौदा हासिल हुआ। पिछले साल अप्रैल में फ्रांस दौरे के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि 36 राफेल विमानों की खरीद सरकारी स्तर पर की जाएगी। इसके बाद पुराना टेंडर कैंसल कर दिया गया। हालांकि पीएम के ऐलान के बाद यह डील करीब एक साल तक कीमत और ऑफसेट के मुद्दे पर अटकी रही। माना जा रहा है कि यह डील 7.25 अरब यूरो (करीब 542 अरब रुपये) में होगी। पहले यह डील 10 अरब यूरो (करीब 747 अरब रुपये) में होने की बात थी। दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने मोलभाव कर इसमें डिस्काउंट हासिल कर लिया। इस डील में 50 पर्सेंट ऑफसेट का प्रावधान भी होने के आसार हैं। इसके तहत फ्रांस सौदे की कुल कीमत का आधा हिस्सा भारत के डिफेंस सेक्टर में निवेश करेगा।