मुख्य संवाददाता
रांची, राजधानी रांची में परिवहन व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गयी है। रांची की लाइफलाइन आटो रिक्शे हैं परन्तु पिछले छह दिनों से हड़ताल पर रहने के कारण आटो से यात्रा करने वाले यात्रियों की हालत बयां नहीं की जा सकती। कल जिला प्रशासन ने हड़ताल समाप्त करने के लिये पहल की, परन्तु उसमें आंशिक सफलता ही मिली। एक गुट ने उपायुक्त मनोज कुमार एवं यातायात पुलिस अधीक्षक मनोज रतन चोथे की उपस्थिति में हड़ताल समाप्त करने का आश्वासन दिया। मनोज रतन चोथे ने बताया कि कल सभी गुटों ने हड़ताल समाप्त करने का आश्वासन दिया परन्तु आज दिनेश गुट ने हड़ताल जारी रखी। आज कुछ मार्गों पर सुबह में कुछ पेट्रोल चालित आटो चले परन्तु वे नकाफी थे। आज लगातार छठे दिन यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रत्येक चौक-चौहारे पर यात्री आटो का इंतजार करते रहे परन्तु उन्हें राहत नहीं मिली। यात्री मजबूरी में ज्यादा भाड़ा देकर रिक्शे में सफर कर रहे हैं।
हालांकि पेट्रोल चालित आटो रिक्शों के एसोसिएशन ने हड़ताल का समर्थन नहीं किया है परन्तु जब तक पूर्ण रूप से हड़ताल खत्म नहीं हो जाती तब तक आम यात्रियों की समस्या दूर नहीं होगी। आटो चालकों की हड़ताल के कारण नगर बस सेवा की भी पोल खुल गयी। आटो चालकों की हड़ताल के कई पहलुओं पर गौर किया जाए तो स्थिति असमंजस की बन गयी है। राजधानी में अधिकतर आटो चालक भाड़े पर लेकर आटो चलाकर अपना भरण पोषण करते हैं। ऐसे में आटो चालकों को हर दिन आटो मालिक को तीन सौ रुपये देने पड़ते हैं और जो बचता है उससे वे अपना एवं परिवार का भरण पोषण करते हैं। ऐसे आटो चालक हड़ताल के कारण टूट रहे हैं। जिन आटो चालकों के पास अपना आटो रिक्शा है वे तो हर दिन हजार रुपये भी कमा लेते थे और परिवार का भरण पोषण कर कुछ पैसा बचा भी लेते थे। ऐसे आटो चालकों के लिए हड़ताल को झेलना आसान है परन्तु सबसे बड़ी परेशानी तो आटो में यात्रा करने वालों की है। राजधानी रांची में उन लोगों को फिलहाल आराम हो गया है जिनके पास अपने वाहन हैं। क्योंकि सड़कों पर उनकी गाड़ियां सरपट दौड़ रही है। आटो रिक्शे के नहीं चलने के कारण सड़कों पर जाम की स्थिति नहीं बन रही है। ऐसे में वाहन वालों को चलने-फिरने में आराम महसूस हो रहा है। इस हड़ताल से यह बात सामने आयी है कि राजधानी की सड़कों में जाम के लिए आटो रिक्शों की बड़ी भूमिका है।