
महिलाएं गुस्से को न दबायें
अधेड़ महिलाएं गुस्सा न दबायें तो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। प्रायः महिलाएं भीतर को कुछ और सोच...
अधेड़ महिलाएं गुस्सा न दबायें तो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। प्रायः महिलाएं भीतर को कुछ और सोच रही होती हैं और बाहर कुछ और ही दर्शाती हैं। कम उम्र में तो ऐसा फिर भी चल जायेगा, लेकिन आगे चलकर यह सब नहीं चल पाता। विशेषज्ञों का कहना है कि 60 बरस की उम्र होते-होते यह महिलाओं के लिये खरतनाक हो सकता है। ऐसा करने वाली महिलाओं को दिल का दौरा भी पड़ सकता है। 200 महिलाओं पर किये गये एक अध्ययन से यह परिणाम निकला है। मासिक चक्र से निजात पाने के बाद इन महिलाओं पर पूरे दस वर्ष यह अध्ययन किया गया। सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया मेडिकल स्कूल के विशेषज्ञ का कहना है कि महिलाएं अगर अपनी दिखावे की आदत नहीं छोड़ेंगी तो उन्हें नुक्सान हो सकता है। अक्सर वे अपनी सर्वजनिक छवि बनाने में लगी रहती हैं। ऐसे में गुस्सा दबाने की उनकी कोशिश फायदे की बजाय नुकसान ही करती है।
शहरी क्षेत्रों में मधुमेह की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। देश में ढाई करोड़ लोग मधुमेह के शिकार हैं और इसका एक तिहाई युवा वर्ग है। युवा रोगियों को विशेषकर इन्सुलिन की जरूरत होती है। समुचित कीमत पर इन्सुलिन उपलब्ध कराना बेहद आवश्यक है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के एंडोक्रिनोलाजी विभाग के प्रमुख का कहना है कि शहरी जीवन पध्दति से मधुमेह तेजी से फैल रहा है। इसकी रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रीय कोलेस्ट्राल शिक्षा कार्यक्रम की तरह भारत में भी जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। मधुमेह की रोकथाम के लिए सही भोजन आवश्यक है। डाक्टर ने इस बात पर जोर दिया कि मधुमेह रोगियों को विश्वस्तरीय व सही दर पर प्रयोगशाला सेवाएं मिलनी चाहिए ताकि रोग पर काबू रखा जा सके। यह तभी संभव है जब कानूनी व वैधानिक तौर पर प्रयोगशाला सेवाओं की गुणवत्ता पर नजर रखी जाये।
पढ़ाई के लिए जरूरी है पानी और नींद
भारत के स्कूल जैसे हैं, उससे तो हम वाकिफ हैं ही किन्तु इंग्लैंड के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए नये-नये ढंग अपनाये जा रहे हैं। वहां वैज्ञानिकों ने अध्ययन द्वारा यह पाया है कि बच्चे यदि दिन में शुध्द और स्वच्छ पानी 8 से 15 गिलास तक पिएं तो उनकी पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ती है। वहां के स्कूलों में अध्यापक इस बात की ओर भी ध्यान देते हैं कि किस बच्चे ने दिन में कितना पानी पिया। वैज्ञानिकों का यह भी कहन है कि छोटे बच्चों के लिए 10 घंटे की नींद आवश्यक है।
गर्दन का ध्यान रखें
आधुनिक जीवनशैली का सबसे बड़ा खमियाजा हमारी गर्दन को भुगतना पड़ता है। अधिकतर पढ़े-लिखे लोगों को मेज कुर्सी पर बैठकर काम करना पड़ता है जिससे कन्धे और बाजू में दर्द होना आम बात है। लगातार टी.वी. देखने और ड्राइविंग करने से भी ये समस्याएं पैदा होती हैं। विशेषज्ञों ने इसके लिए सुझाव दिये हैं कि वाहन चलाते समय जयादा दूरी तक गाड़ी न चलाएं, बीच-बीच में गाड़ी रोककर गर्दन को विश्राम दे दें, आफिस में काम करते समय सिर को आगे पीछे न झुकाए बल्कि गर्दन को सीधे रखते हुए काम करने का प्रयास करें। काम करते हुए थोड़ा ब्रेक लेना भी अच्छा रहता है। विशेषज्ञ मोटे तकिए का उपयोग न करने और हल्का पतला तकिया भी लेने का सहयोग देते हैं।
विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण है पान मसाला
नवीनतम शोधों के अनुसार पान मसाले का सेवन न केवल मुंह के कैंसर का कारण बनता है बल्कि यह शरीर के अन्य भागों को भी नुकसान पहुंचाता है। हाल ही में नेशनल इंस्टीच्यूट आफ ओक्यूपेशनल हेल्थ (अहमदाबाद) द्वारा चूहों पर एक शोध किया गया प्रतिशत पान मसाला भी दिया गया। यह पान मसाला उन्हें 80 सप्ताह तक दिया गया। 56 सप्ताह के पश्चात् 12 चूहों में से चार चूहों में ट्यूमर पनपने प्रारम्भ हो गये। इन चार चूहों को तम्बाकू रहित पान मसाला दिया गया था। 12 में 7 चूहों को तम्बाकू वाला पान मसाला दिया गया था जिसे गुटखा कहा जाता है। इन चूहों के फेफड़ों, पेट, जिगर व ओवरी में भी ट्यूमर पाये गये। इसके अतिरिक्त वजन कम होना, त्वचा की बीमारियां और आंखों से खून आना भी पाया गया। विशेषज्ञों के अनुसार तम्बाकू रहित सादा पान मसाला भी हानिकारक है। पान मसाले के इतने हानिकारक प्रभाव को देखते हुए भी इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है और इसका शौक न केवल वयस्कों में बल्कि बच्चों में भी बड़ी तादाद में देखने को मिल रहा है जो एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। विशेषज्ञों के अनुसार कैंसर की संभावना को कम करने के लिए पान मसाले का सेवन न करना बहुत आवश्यक है।
चीनी और भारतीयों में बढ़ता मोटापा
हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन और भारत के एक तिहाई वयस्क मोटापे का शिकार हैं। सिर्फ चीन और भारत में 2.2 अरब व्यक्ति मोटापे का शिकार हैं। 'इंटरनेशनल ओबेसिटी टास्क फोर्स' के चेयरमैन प्रोफेसर फिलिप जेम्स के अनुसार विश्व में चीन में सबसे अधिक मोटे व्यक्तियों की बढ़ोतरी हो रही है और मलेशिया, सिंगापुर सहित एशिया में मोटापा एक महामारी की तरह फैल रहा है। मोटापा कई बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों और कैंसर का भी कारण है। इन बीमारियों के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है इसलिए इस मोटापे को गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है।