
मद्रास में हो रहा है ईको फ्रेडली प्रयोगशाला का निर्माण
| | 2016-09-07T16:44:25+05:30
नई दिल्ली (हि.स)। सिर्फ सड़क पर चलने वाले वाहनों और जगह जगह पर लगे कूड़े के ढेर से ही वातावरण...
नई दिल्ली (हि.स)। सिर्फ सड़क पर चलने वाले वाहनों और जगह जगह पर लगे कूड़े के ढेर से ही वातावरण प्रदूषित नही होता बल्कि विभिन्न कॉलेजो और स्कूलों की प्रयोगशालाओ से भी पर्यावरण प्रदूषित होता है।
पर्यावरण के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मद्रास क्रिशचन कॉलेज ने एक अनोखी पहल की है,जिसके अंतर्गत वह अपने प्रयोगों को ईको फ्रेंडली करने का प्रयास कर रहे है। इस पहल के चलते वह मज़बूत रसायन के बजाय कम असर करने वाले रसायनो का प्रयोग कर रहे है। जैसे की हाईड्रोजन सल्फाइड की जगह सोडियम सल्फाइड का प्रयोग।
इस विभाग के विभागाध्यक्ष पी विससन ने बताया कि हाईड्रोजन सल्फाइड का प्रयोग करने से सिर दर्द और जी मिचलाने की तकलीफ हो जाती है इससे निकलने वाली गैस भी सेहत के लिए हानिकारक होती है, कई बार ऐसा भी हुआ है कि शिक्षक और छात्र प्रयोग करते समय प्रयोगशालाओं में बेहोश हो गए हैं।
मरकरी पर आधारित थर्मोमीटर की जगह एल्कोहल और पैराफीन पर आधारित थर्मोमीटर का प्रयोग किया जा रहा है।
विभाग के प्रोफेसर सी अमरिथावल्ली ने बताया कि विभाग ने चार नई प्रयोगशालांए बनाने की योजना बनाई है जिसमें से एक का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और बाकी का काम दस दिनों के भीतर पूरा हो जाएगा।
अभी तक प्रयोगशालाओं में जब प्रयोग किए जाते थे तब हाइड्रोजन सलफाइड के प्रयोग करने पर सड़े हुए अंडे जैसी महक आती थी, हालांकि नई प्रयोगशाला में ऐसा नहीं होगा, क्योंकि यह ईको फेंडली है। इनमें स्पॉट एस्ट्रैकटर्स है जो हवा को प्रदूषित करने से बचाते है।
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