
भगवान विश्वासी भक्तों के हृदय में शीघ्र प्रकट होते हैं
| | 2016-08-29T12:47:11+05:30
श्रीरामकृष्ण परमहंसएकाग्रता और व्याकुलता के प्रबल होने पर जीव शीघ्र ही भगवान को पा लेता है। जिस...
श्रीरामकृष्ण परमहंस
एकाग्रता और व्याकुलता के प्रबल होने पर जीव शीघ्र ही भगवान को पा लेता है। जिस प्रकार कई वषार्ें से बंद पडे़ कमरे का अंधेरा प्रकाश आते ही दूर हो जाता है, उसी प्रकार जीव के जन्म-जन्मांतरों के पाप भगवान की एक कृपा-दृष्टि से नष्ट हो जाते हैं। जो अपनी आत्मा को पहचान लेता है, वह सभी में ईश्वर को देख सकता है।
जिस प्रकार घोड़े की आंखें अलग-बगल से न ढकने से वह सीधा नही चल सकता, उसी प्रकार ज्ञान और भक्ति का अवलंबन कर संसार-पथ पर चलना सीखने से दिशा भ्रम नहीं होता या मनुष्य कुपथ पर नही जा सकता।
धनवान व्यक्ति को धन का घमंड नहीं करना चाहिए। यदि वह यह समझता है कि मैं धनी हूं, तो उसमे भी बड़ा धनी है। सायंकाल जब जुगनू उड़़ते हैं, तब वे सोचते हैं कि वही संसार को प्रकाश दे रहे हैं। पर नक्षत्रों के उदय होते ही उनका घमंड शांत हो जाता है। तब नक्षत्र यह समझते हैं कि वे ही संसार को प्रकाश दे रहे हैं, परन्तु चन्द्रमा के उदय होने पर नक्षत्र भी लज्जित हो मलीन हो जाते हैं। फिर चन्द्रमा सोचता है कि वह ही जगत को प्रकाश देता है, परन्तु सूर्योदय होने पर चन्द्रमा का घमंड भी टूट जाता है। यदि धनवान इस बात का विचार करे तो उसका घमंड भी मिट जाएगा।
मक्खन निकालकर उसे जल की हांडी में रखने से वह एकाएक खराब नहीं होता, परन्तु दही के हांडी में रखने से खराब हो जाता है, उसी प्रकार सिद्ध होने पर भी संसार में रहने से मलीनता व्याप्त रहती है, परन्तु संसार से अलग रहने से व्यक्ति साफ बच निकलता है। जिस प्रकार अच्छे-अच्छे चारा फेंकने पर मछलियां दौड़कर उनके पास आती हैं, उसी प्रकार भगवान हरि भी विश्वासी भक्तों के हृदय में शीघ्र प्रकट हो जाता है। जो तालाब छिछला है, उसका पानी पीना हो तो पानी धीरे-धीरे लेना चाहिए, अधिक खलबलाने से नीचे का कीचड़ ऊपर उठकर सारे पानी को मैला देता है। यदि सच्चिदानंद लाभ करना चाहते हो तो गुरु के उपदेश में विश्वास करके धीने- धीने साधना करो। व्यर्थ में केवल शास्त्र विचार अथवा तर्क-वितर्क करने से यह छिछला मन मैला हो जाएगा।
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