
पानी : कहीं हम कुदरत के इस अनमोल तोहफे से वंचित न हो जायें
हमारे देश में पानी की समस्या अपने चरम पर है। धड़ल्ले से खुलेआम इसकी बर्बादी हो रही है। चौंकाने वाली...
हमारे देश में पानी की समस्या अपने चरम पर है। धड़ल्ले से खुलेआम इसकी बर्बादी हो रही है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि लोग इसकी अहमियत के बारे में जानते हुए भी अंजान बने हुए हैं और इसकी बर्बादी कर रहे हैं। हमें यह समझना होगा और समझाना होगा कि कुदरत ने हमें कई अनमोल तोहफों से नवाज़ा है उनमें से पानी भी एक है। इसलिए हमें इसे सहेज कर रखना है। पानी की कमी को वहीं लोग समझ सकते हैं जो इसकी कमी से दो चार हैं। हम खाने के बगैर दो-तीन दिन जिंदा रह सकते हैं मगर पानी के बगैर जिंदगी की पटरी का आगे बढ़ना तकरीबन नामुमकिन सा लगता है। पानी लोगों के दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ उनको आजीविका जुटाने में भी एक अहम किरदार अदा करता है। खेती-बाड़ी से लेकर विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े उद्योगों में, लोगों की रोज़ी-रोटी पानी से ही जुड़ी है। खासतौर से आय के साधन जुटाने में मनुष्य पानी का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहा है। हमें भविष्य की चिंता बिल्कुल नहीं है और न ही हम करना चाहते हैं। अगर विकास की अंधाधुंध दौड़ में मनुश्य इसी तरह शामिल रहा तो हमारी आने वाली पीढ़ी कुदरत के अनमोल तोहफे पानी से वंचित रह सकती है।
इन्हीं सब समस्याओं से निजात दिलाने के लिए एनडब्ल्यूएम-टीआईएसएस वाटर प्रोजैक्ट जारी है जो टीआईएसएस वाटर स्टूवर्डशिप प्रोग्राम की एक छोटी सी पहल है। जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय जल मिशन के द्वितीय लक्ष्य ''जल संरक्षण, संवर्धन और संरक्षण के लिए नागरिक और राज्य कार्रवाई की पदोन्नति'' का परिचालन करना है। यह प्रोजैक्ट नदी बेसिन स्तर पर जल प्रबंधन के लिए एक समावेशी और निष्पक्ष आधारित मॉडल की कल्पना करता है जहां स्थानीय लोग, विभिन्न कार्यकर्ता और संस्थाएं, सक्रिय रूप से जल के संरक्षण, संवर्धन और इसके सही प्रयोग से पारिस्थितिक तंत्र और मनुष्य के बीच एक संतुलन बनाने के लिए लगे हुए हैं। यह परियोजना ''जल संरक्षण, जल के दुरुपयोग को कम करने तथा विभिन्न राज्यों में इसका समान वितरण सुनिश्चित करके जल संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन के लक्ष्य को प्राप्त करने'' की राह पर गामज़न है। वास्तव में एनडब्ल्यूएम-टीआईएसएस वाटर प्रोजैक्ट घरेलू, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में पानी के उचित प्रबंधन, उपयोग और समानता को सुनिश्चित करने का एक अथक प्रयास है। इस कार्य को सार्थक करने के लिए हर किसी क्षेत्र से लोगों का जुड़ना अनिवार्य है। इसलिए टीआईएसएस अपने वाटर स्टूवर्डशिप प्रोग्राम के तहत एक मंच ठअखछ (रिवर बेसिन एक्चन इंडिया नेटवर्क ) का गठन कर रहा है। इस मंच का मुख्य उद्देश्य सभी में पानी के प्रति जिम्मेदारी से काम करने की क्षमता का एहसास कराकर उन्हें पानी के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम लाने के लिए प्रेरित और कार्यरत करना है। इस बारे में टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के डायरैक्टर डा. पराशुरमन कहते हैं कि-''वाटर स्टूवर्डशिप सिध्दांत के जरिए ही हम लोगों में पानी के संरक्षण और संवर्धन की भावना का विकास कर सकते हैं और इसके लिए नदी बेसिन स्तर पर जल प्रबंधन के लिए एक समावेशी और निष्पक्ष आधारित मॉडल तैयार करने की ज़रूरत है।''