
तन्दूरी भोजन कैंसर का बड़ा कारण
देश में जिस तरह कैंसर फैल रहा है, बड़ी चिन्ता का विषय है। पंजाब के कुछ क्षेत्रों में कैंसर का मुख्य...
देश में जिस तरह कैंसर फैल रहा है, बड़ी चिन्ता का विषय है। पंजाब के कुछ क्षेत्रों में कैंसर का मुख्य कारण पानी बताया जा रहा है परन्तु तन्दूरी भोजन भी कैंसर का सबसे बड़ा कारण बताया जाता है। यद्यपि पंजाबी लोग तन्दूरी रोटी, तन्दूरी चिकन और अन्य तन्दूरी व्यंजनों को बड़े शौक से खाते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी होगी कि तन्दूरी व्यंजन कैंसर को बहुत आसानी से जन्म देने की क्षमता रखते हैं।
अभी पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष, जो कैंसर विशेषज्ञ हैं, ने कैंसर के बारे में गहन अध्ययन किया और जो बातें उनके अध्ययन से साफ हुई हैं, वह यह कि तन्दूरी रोटियां, तन्दूर में पका मांस, मुर्गा, तन्दूरी सींक कबाव खाने वालों को कैंसर रोग होने की संभावना अन्य लोगों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही होती हैं। कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि तन्दूर में कोई भी पदार्थ पकाने में उससे जहरीला रसायन बीजोपाइरीन पैदा होता है, जिससे रोग होने की लगभग पूर्ण संभावनाएं होती हैं। तन्दूरी भोजन में कैंसर पैदा होने का खतरा इतना ज्यादा होता है कि इसे यूं ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
यह बात उल्लेखनीय है कि तन्दूर में अत्यधिक आग के कारण तापमान 700 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक होता है। इस अत्यधिक तापमान के कारण खाद्य पदार्थ तापमान को सोखकर अपने अंदर विभिन्न रसायन पैदा करते हैं। यह रसायन जिसे वैज्ञानिक बीजोपाईरीन कहते हैं, जब उत्पन्न होता है तो वह कैंसर का मुख्य कारण बनता है।
पंजाब का दौरा करने आए वैज्ञानिकों का कहना है कि मालवा क्षेत्र के पानी में यूरेनियम की मात्रा ज्यादा है। यूरेनियम मानव शरीर पर कैंसर कारक विषैले रसायन छोड़ता है, जिसके कारण पंजाब के मालवा क्षेत्र में कैंसर रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
वैज्ञानिक शोधों से कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं, जिनको सुनकर आम आदमी हैरान हो जाता है। रोटी गर्म करने में ग्रामीण लोगों द्वारा अपनाई विधियां काफी सर्वोत्तम हैं, क्योंकि चूल्हें में रोटी ज्यादा नहीं सेंकी जाती, क्योंकि वहां तापमान ज्यादा होता है। अत: दूर से रोटी को गर्म किया जाता है।
मिट्टी के चूल्हें में गर्म की गयी रोटी, हीटर, स्टोव, पत्थर के कोयले और तन्दूर से बनी रोटी से उत्तम होती है।
अमेरिका में कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि तन्दूर में पकाए गए एक किलोग्राम मुर्गे से उत्पन्न हुई 'बीजीपाइरीन' 600 सिगरेट पीने से पैदा हुई 'बीजीपाइरीन' के बराबर है। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बारे में लोगों को जाग्रत करने के लिए शीघ्र ही एक अभियान चलाया जाएगा कि तन्दूर में पका खाना सिगरेट पीने से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। उनका कहना है कि तन्दूर में पके मांसाहारी व्यंजन का कण-कण बीजोपाइरीन जैसे घातक रसायन से भरा होता है। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कैंसर से बचना है तो तन्दूरी मुर्गे, तन्दूरी मछली, तन्दूरी व्यंजनों एवं तन्दूरी रोटी से बचना होगा।
कैंसर के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों ने तन्दूरी सभ्यता को अधिकतर अपनाया हुआ है।
लोगों को तन्दूरी सभ्यता से होने वाले भीषण रोग कैंसर के बारे में जानकारी दी जाएगी तो संभवतया लोग तन्दूरी व्यंजन खाना छोड़ देंगे। वैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना है कि तन्दूरी व्यंजनों से पैदा होने वाला कैंसरकारक पदार्थ बीजीपाइरीन, स्त्रियों पर ज्यादा प्रभाव डालता है, जिसके कारण स्त्रियों में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा होता है।