
झारखण्ड में डायन विरोधी कानून की जरूरत
हमारे देश और राज्य में कई महिला विरोधी कुप्रथांए प्रचलित हैं। इनमें एक डायन कुप्रथा भी है, जिसके...
हमारे देश और राज्य में कई महिला विरोधी कुप्रथांए प्रचलित हैं। इनमें एक डायन कुप्रथा भी है, जिसके खिलाफ अभियान भी छेड़ा गया है, लेकिन इसमें कमी आने की कोई खबर है! एक अध्ययन में यह बात आयी है कि देश में हर साल लगभग पांच सौ महिलाओं को डायन होने के आरोप में अपनी जान गवानी पड़ती है।
रांची के गांव में एक साथ 5 की हत्या
स्वयं सेवी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट सेन्टर के अनुसार झारखण्ड, ओड़िसा और हरियाणा के साथ ही दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में इस तरह की घटनाएं अधिक होती हैं। इन सभी में पूरे देश में झारखण्ड अव्वल है। इस कुप्रथा की ज्यादातर पीड़ित अकेले रहने वाली विधवा महिलाएं हैं, जिनकी जमीन या सम्पति हड़पने के लिए उन्हें डायन बना दिया जाता है। इस संस्था के एक अध्ययन में यह बात भी कही गयी है कि महिलाओं को बहुत ही बेरहमी से सार्वजनिक रूप से कत्ल किया जाता है। पहले इन्हें पेशाब पीने या फिर मानव मल तक खाने के लिए विवश किया जाता है फिर सब लोगों के सामने इन्हें निर्वस्त्र करके पूरे गांव में घुमाया जाता है। फिर पेड़ में बांध कर उस समय तक ईंट और पत्थरों से मारा जाता है, जब तक वह महिला खुद को डायन (चुड़ैल, डाकिनी) तस्लीम न कर ले। फिर बहुत ही वीभत्स और निर्मम ढंग से गला रेत कर उसकी हत्या कर दी जाती है। साथ-साथ सभ्य समाज होने का ढोंग और दावा समानांतर रूप से चलता रहता है।
कंजिया मरई टोली के करीब 200 लोगों की भीड़ ने इन महिलाओं की हत्या की। गांव के ही बिपिन नाम के एक बच्चे की मौत हो गयी थी। ग्रामीण इसे डायन-बिसाही से जोड़ कर देख रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीणों ने पांचों महिलाओं की हत्या सुनियोजत ढंग से की। ग्रामीणों ने बैठक कर पांचों महिलाओं की हत्या का फैसला किया। ग्रामीणों ने चार परिवारों की पांच महिलाओं को उनके घरों से निकाल कर मरई अखरा लाया इसके बाद पारंपरिक हथियारों से महिलाओं को तब तक पीटा जब तक उनकी मौत नहीं हो गयी। इतना ही नहीं उनके सिर और चेहरे को बड़ी ही बेरहमी से कूच भी डाला, जिससे महिलाओं का चेहरा पहचान भी मुश्किल हो गयी। घटनास्थल पर शव को घेरकर बैठे थे ग्रामीण, डीआइजी और एसएसपी से ग्रामीणों ने कहा हमने की हत्या, इसका कोई अफसोस नहीं।
कोई पश्चाताप नहीं
मराईटोला में सन्नाटा ही नहीं बोलता, एक चीज और बार-बार चीखती है, वो है अंधविश्वास। डायन बिसाह के इल्जाम में पांच महिलओं को हत्याओं के बावजूद अंधविश्वास का घटाटोप कायम है छंटा नहीं। जिनकी मां, बहन व पत्नी की हत्या की गई, वो सिरे से डायन-वायन जैसे किसी भी वजूद से इंकार करते हैं, लेकिन गांव के दूसरे बुजुर्ग व महिलाएं कहती हैं कि डायन बिसाही होती है। उनके अच्छे से गांव को उनकी बुरी नजर लग गई है।
किसी से बात कर लीजिए, किसी को भी इन हत्याओं का पछतावा नहीं है। जबकि 80 से 100 घरों की इस बस्ती में साक्षरता दर बहुत अच्छी नहीं, तो खराब भी नहीं कही जा सकती है। लड़कियां तक पढ़ रही हैं, जॉब कर रही हैं।
भुक्तभोगी का लड़का नायक अनिल अजित खलखो चीन बॉडर पर देश की सेवा कर रहा है। अखड़ा के पास ही दो बुजुर्ग दंपती रहते हैं उनमें से महिला तो तीखे ही लहजे में सवाल करती है कि कब तक चुप रहते। उन जैसे कई लोग हैं, जो घटना को सही नहीं, तो गलत भी नहीं कहते। आखिर वो ओझा या भक्त या भक्तिन कौन है, जिसने बताया कि गांव के 13 वर्षीय छात्र विपिन की मौत पीलिया से नहीं, बल्कि डायन बिसाही की काली-करतूत थी। वो कौन है, इस पर हर जबान चुप है। जब गांव की चौहद्दी नाप कर आन पर मरईटोला की सच्चाई सामने आई। गांव के अधिकतर युवा गिरफ्तार हो चुके हैं, कुछ फरार हैं। बस बुजुर्ग, औरतें हैं। हर आंखें एक-दूसरे में कुछ टटोलती हैं। कि उनके धुमकुड़िया की तरह गांव का परस्पर विश्वास महज एक ही रात के कारनामे में खंडहर में कैसे तब्दील हो गया। आखिर इस का जवाब कौन देगा?
झारखंड बनने के बाद इन 14 वर्षों में लगभग 1600 महिलायें डायन कुप्रथा का भेंट चढ़ चुकी हैं। वहीं पिछले दो साल में झारखण्ड के रांची, सिमडेगा, खूंटी, गुमला, पलामू और लोहरदगा में 170 महिलाओं की हत्या डायन करार देकर कर दी गई है। विगत 6 जून को ही चान्हो के सिसई गांव में 55 साल की एक महिला को डायन बता कर ग्रामीणों ने 28 हजार रूपये का जुर्माना लगाया। हालांकि नेषनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा बहुत ही कम है।
विधि-विधान और नैतिकता को धता बताकर देश के गांव-देहातों और छोटे कस्बों में अब भी कोई ओझा, भोपा, गुनिया और तांत्रिक किसी सामान्य औरत को कभी भी डायन घोषित कर देने का माद्दा रखते हैं। आमतौर पर औरों के घर, परिवार और रिश्तेदार ऐसा करवाते हैं। देखा जाता है कि इस कुप्रथा के खिलाफ खाप पंचायतें भी अपना मुंह नहीं खोलतीं। ऐसा ही हुआ मांडर के कंजिया मरईटोली गांव में पांच महिलाओं की हत्या के मामले की जांच सीआइडी ने रिपोर्ट सौंपी जांच रिपोर्ट में सीआइडी के अधिकारियों ने लिखा है कि हत्या के आरोप में जिन लोगों के खिलाफ मांडर थाने में केस दर्ज है, उन लोगों को झिंझरी गांव के एक ओझा ने बताया था कि पांचों महिलाएं डायन हैैं। अन्त में अंधविश्वासियों की जीत हुई और आम नागरिक हार गये। झारखण्ड सरकार ने डायन प्रथा उन्मूलन की योजना बनायी है। इस योजना के नाम पर हर साल बीस लाख रुपये खर्च किये जाते हैं। यह योजना कारगर नहीं साबित हुई। इस कुप्रथा पर रोक के लिए बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत है। ताकि फिर मांडर के मरईटोला की पुनरावृति न हो।