
झारखंड में नहीं लागू होने देंगे भूमि अधिग्रहण कानून ः बाबूलाल
रांची, गोली खाना हो तो खाएंगे, जेल जाना हो तो जाएंगे पर झारखंड में भूमि अधिग्रहण कानून वर्तमान...
रांची, गोली खाना हो तो खाएंगे, जेल जाना हो तो जाएंगे पर झारखंड में भूमि अधिग्रहण कानून वर्तमान स्वरुप में लागू नहीं होने देंगे। मंगलवार को विपक्षी दलों की ओर से आयोजित महाधरने में यह बातें झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहीं। वह महाधरने की अध्यक्षता कर रहे थे। महाधरने में शामिल होने बाबूलाल मरांडी दिन के बारह बजकर सात मिनट पर पहुंचे। उनके साथ सीपीआई के पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता भी थे। बाबूलाल ने कहा कि 66 वर्ष में 30 लाख लोग झारखंड में विभिन्न परियोजनाओं से विस्थापित हो चुके हैं। अब फिर से बड़े पैमाने पर विस्थापन की तैयारी चल रही है। सरकार कहती है कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल क्या आसमान में बनेंगे, देश में कहीं भी स्कूल, कॉलेज व अस्पताल बनाने की दिक्कत नहीं है। सरकार के पास जमीन की कमी नहीं है। सरकार गैर .षि योग्य बंजर भूमि पर इसे बना सकती है। सरकार इस मामले में जनता को बरगला रही है।
हल के साथ आए बंधु तिर्की : महाधरने में बंधु तिर्की की पार्टी झाजमं के कार्यकर्ता हल लेकर पहुंचे। महाधरने के दौरान यह हल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। बाद में झाजमं के नेताओं ने बाबूलाल समेत अन्य नेताओं को हल दिया। इसके अलावा विभिन्न दलों ने धरनास्थल पर झंडा और बैनर पोस्टर लगा रखा था। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में विभिन्न दलों के कार्यकर्ता पहुंचे थे। हालांकि चिलचिलाती गर्मी ने लोगों को परेशान कर रखा था। धरना स्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे और पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे।
पूंजीपतियों के इशारे पर बदला जा रहा है कानून : महाधरने में झाविमो विधायक दल नेता प्रदीप यादव ने कहा कि मुठ्ठी भर भी नहीं बल्कि ऊंगली के गिनती भर के पूंजीपति घरानों को खुश करने के लिए नया भूमि अधिग्रहण बिल लाया जा रहा है। जिन लोगों ने चुनाव में भाजपा को चंदा दिया, फंडिंग की उनके इशारे पर कानून बदला जा रहा है। जमीन हमारा, उस पर हक अडाणी-अंबानी का नहीं चलेगा। यादव ने कहा कि सरकार ने घोषणा किया था कि 30 मई तक स्थानीय नीति बना देंगे मगर नहीं बनायी। क्या इस राज्य की नौकरियां दूसरे प्रदेश के लोगों को बांटने के लिए है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए तो 27 प्रतिशत आरक्षण है मगर गैर आदिवासियों का क्या होगा। गैर आदिवासी की नौकरियां सामान्य वर्ग के नाम पर बाहरी ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून दलित, गरीब और किसान विरोधी है। राज्य में बिना स्थानीय नीति लागू किए ही बहाली शुरु कर दी गई है।
कई नेताओं ने रखे विचार : महाधरने में राजद के महासचिव कैलाश यादव, सपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर यादव, सीपीएम के प्रकाश विप्लव, आरएसपी के राधाकांत झा, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो, झारखंड वन अधिकार अभियान के वासवी किड़ो, जमैक के एलिस चेरवा, एसयूसीआई के सुबोध कुमार, आदिवासी एकता मंच के सलन तोपनो, झारखंड किसान किसान महासभा के प्रफुल्ल लिंडा, झाविमो के राजीव रंजन मिश्रा, प्रभुदयाल बड़ाईक, मो शरीफ अंसारी, मो खालिक अहमद, जीतेंद्र कुमार रिंकू, मुन्ना बड़ाईक, सचिन खन्ना, संपत्ति देवी, अनिता गाड़ी, श्वेता पांडेय, विनिता मुंडा, गीता देवी, राम मनोज साहू, निरज सिंह, दिलीप मिश्रा, आदित्य मोनू, उत्तम यादव, दुर्गाचरण प्रसाद सहित कई सैकड़ों नेता शामिल हुए और अपने-अपने विचार रखे।