
जानें बुखार कैसे कैसे
| | 2015-12-04T09:32:32+05:30
नीतू गुप्तामौसम में बदलाव आते ही बुखार का वायरस अपने पांव फैलाने शुरू कर देता है। कभी तेज बुखार,...
नीतू गुप्ता
मौसम में बदलाव आते ही बुखार का वायरस अपने पांव फैलाने शुरू कर देता है। कभी तेज बुखार, कभी शरीर तोड़ता बुखार तो कभी सिरदर्द के साथ खांसी, जुकाम, बुखार की हरारत, कभी पेट की गड़बड़ी के साथ बुखार आना, फ्लू (वायरल) टायफाइड, मलेरिया, डेंगू आदि।
हर बुखार के लक्षण अलग होते हैं जिन्हें साधारण रूप से जानना आम इंसान के लिए मुश्किल है। आए, जानें कुछ आम बुखारों के लक्षण जो हर साल मौसम बदलाव के समय हमें आ घेरते हैं।
लक्षण :-
सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकावट, गला खराब, खांसी, जुकाम (नाक बहना या बंद नाक होना) आंखों में लाली होना इसके लक्षण है।
वैसे इस बुखार में किसी टेस्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती पर बुखार 5 दिन से अधिक रहे तो कम्पलीट ब्लड काउंट करवाया जाता है। इससे पता चल जाता है कि खून में कोई इंफेक्शन तो नहीं। अगर काउंट कम होता है तो वायरल बुखार होता है, अगर काउंट ज्यादा हो तो बैक्टीरियल बुखार होता है, फिर उसी के अनुसार डाक्टर इलाज प्रारम्भ करते हैं।
इलाज : इसमें बुखार 102 डिग्री तक हो सकता है। इसके लिए डार्टर हर छह घंटे के अंतराल में पैरासिटामोल लेने की सलाह देते हैं। बच्चों को उनकी आयु और वजन के अनुसार पैरासिटामोल सिरप बताते हैं। अगर तीन चार दिन तक बुखार ठीक न हो तो डाक्टर से सम्पर्क करें।
मलेरिया बुखार : यह बुखार मच्छर द्वारा इंसानों में फैलता है। पहले मलेरिया होने पर बुखार एक दिन छोड़कर आता था पर अब देखा गया है लगातार बुखार भी बना रहता है। मलेरिया का बुखार 'एनोफिलीज' मादा मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गंदे पानी में पनपता हैं और शाम को अक्सर मच्छर काटते हैं।
मलेरिया बुखार अक्सर एक सप्ताह तक रहता है पर सही इलाज न होने से 2 सप्ताह तक बुखार खिंचता है। अक्सर ठंड के साथ तेज बुखार चढ़ता है। सिर दर्द, बदन दर्द, कंपकंपी होना, उलटी होना या जी खराब होना, कमजोरी महसूस होना इसके आम लक्षण हैं। कभी-कभी मरीज बेहोश भी हो जाता है।
इसमें ब्लड टेस्ट करवा कर इसकी जानकारी मिलती है। जांच के लिए अवश्य डाक्टर के पास जाएं ताकि वह उचित इलाज कर सके और खुराक भी बता सके। आराम की आवश्यकता होती है। बिना डाक्टर की सलाह के स्वयं एंटी मलेरिया दवा न लें।
टायफाइड : टायफाइड का बुखार पहले दिन कम, फिर धीरे-धीरे बढ़ता है। टायफाइड का बुखार सैल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है जिसमें आंत में जख्म (अल्सर) हो जाता है जो बुखार का कारण भी है। टायफाइड गंदे पानी के सेवन से फैलता है। वैसे टायफाइड की वैक्सीन भी है पर शत प्रतिशत प्रभावी नहीं है। वैक्सीन लगवाने के बावजूद पुनः बुखार हो जाता है। फिर भी वैक्सीन लगवाना चाहिए। इससे 65 प्रतिशत बचाव होता है।
टायफाइड का बुखार 2 सप्ताह से 4 सप्ताह तक हो सकता है। अगर उचित इलाज न हो तो ज्यादा खिंच सकता है। टायफाइड में बुखार तेज चढ़ता है। सिरदर्द, बदन दर्द, उलटी होना, दिल खराब होना, कभी-कभी शौच में खून आना इसके मुख्य लक्षण हैं। टायफाइड कंफर्म करने के लिए खून की जांच करवाना जरूरी होता है। डाक्टर विडाल टेस्ट या ब्लड कल्चर टेस्ट हेतु बोलते हैं। कंफर्म होने पर एंटीबायोटिक का कोर्स दिया जाता है। बुखार उतरने में 5 से 7 दिन तक लग सकते हैं। घबराएं नहीं। हाथों को साफ रखें, पानी उबाल कर पिएं।
डेंगू : डेंगू का बुखार भी मच्छर काटने से फैलता है। मादा मच्छर एडीज इजिप्टी के काटने से होता है। ये मच्छर दिन में विशेषकर सुबह काटते हैं। यह बुखार भी 5 से 10 दिन तक रहता है।
इसमें भी बुखार तेज होता है, तेज सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, कमजोरी, उलटी, पेट दर्द, चक्कर आना आम लक्षण हैं। कभी-कभी मसूड़ों में खून आना, शौच या उलटी में खून आ सकता है। शरीर पर गहरे नीले काले रंग के चकते भी दिखाई दे सकते हैं। रोगी का बीपी कम हो सकता है, बेहोश हो सकता है।
डेंगू तीन तरह का होता है। साधारण, डेंगू हैमरेजिक, डेंगू शॉक सिंड्रोम। डेंगू बुखार की जांच भी टेस्ट द्वारा होती है पहले दिन भी टेस्ट करवाने पर पता चल जाता है। साधारण डेंगू होने पर घर पर आराम कर हर छह घंटे के अंतराल पर पैरासिटामोल लें। तरल पदार्थ अधिक लें। नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी लें ताकि खून गाढ़ा न हो और जमे नहीं।
बाकी के दोनों डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं जिससे शरीर के जरूरी अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। बुखार उतरने के बाद भी प्लेटलेट्स एक दो दिन बाद अवश्य कराएं। बीपी की भी जांच कराते रहें।
बुखार में क्या खाएं, क्या नहीं :-
- रोगी का खाना बन्द न करें। तरल पदार्थ अधिक दें। हल्का खाना देते रहें। बुखार में सेहतमंद खाना जरूरी है।
- बुखार में प्रोटीन युक्त भोजन दें, जैसे दाल, राजमां, दूध, अंडा, पीर, मछली आदि विशेषकर बढ़ते बच्चों को।
- मौसमी फल, मौसमी सब्जियां दें। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए विटामिन सी दें।
- खाने में हल्दी का प्रयोग अधिक करें। प्रातः पानी के साथ आधा चम्मच हल्दी डस्ट लें। अगर खांसी जुकाम, कफ है तो दूध न लें। रात्रि में भी पानी के साथ हल्दी पाउडर लें।