
गौमांस पर लालू का बयान
| | 2015-10-08T20:43:07+05:30
लालू यादव ने फिर एक बार बिहार को गंभीर पीड़ा दी है। बिहारी उनसे इन दिनों निराश हैं। नाराज तो पहले ही...
लालू यादव ने फिर एक बार बिहार को गंभीर पीड़ा दी है। बिहारी उनसे इन दिनों निराश हैं। नाराज तो पहले ही थे। नाराज थे, क्योंकि, उन्होंने बिहार को अंधकार के दौर में धकेला था। उनसे बिहार आजकल निराश इसलिए है, क्योंकि वे प्रकारांतर से गौमांस को खाने की वकालत कर रहे है। राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद ने हाल ही में कहा था, हिंदू भी बीफ खाते हैं उनके बयान पर जब बवाल मचा तो वे भी बचाव की मुद्रा में आ गए। अब वे कह रहे हैं कि वे बीफ (गौमांस) नहीं बल्कि मीट खाने की बात कह रहे थे। बिहार उनसे नाराज हुआ, तो उन्होंने अपने सुर बदल दिए।
बिहार का हिन्दू और उसमें भी यादव जाति का कोई इंसान गौमांस खाने की यदि वकालत करे यह कल्पना से परे की बात है। पर, वोट की सियासत के लिए लालू जी बिहार की परम्पराओं को नजरअंदाज करते हुए बेहद गैर-जिम्मेदराना बयान देकर फंस चुके हैं। बेशक, बिहार में लगभग सभी जातियों और धर्मों से संबंध रखने वाले लोगों में काफी लोग मांसाहारी भी हैं। बिहार में चिकन, मटन और मछली बहुत से लोगों के भोजन का हिस्सा है। बिहारी भोजन की गुणवत्ता का खास ख्याल रखता है, भले ही उसकी माली हालत किसी भी तरह की क्यों न हो। पर बिहारी चाहे भूखों मर जाये पर गौमांस का सेवन नहीं करेगा। इस मामले में वह कभी भी समझौते नहीं करेगा। ये बात सभी धर्मों-जातियों से जुड़े लोगों पर लागू होती। बिहार में शायद ही कोई मुसलमान भी गौमांस खाता हो। जो बांगलादेश से आकर बस गए हैं उनको छोड़कर। एक बात और। बिहार का हिन्दू भी सूअर नहीं खाता। हां, कुछेक अपवाद हो सकते हैं।
'हदीस' और 'कुरान' में
कतई नहीं। मैं बिहार के मुसलमानों के मूड को अच्छी तरह जानता हूं। वे भी गौपालक हैं और गाय को लेकर एक तरह से आदर का भाव रखते हैं। इसलिए बिहारी मुसलमान लालू के बयान से इम्प्रेस होने वाला नहीं है। मेरे तमाम मुसलमान मित्र मुझे कॉल कर रहे हैं या मिल रहे है लालू के गौमांस पर दिए बयान के बाद। सब उनसे खफा हैं। सबकी एक ही राय है कि लालू दादरी में बीफ को खाने को लेकर फैली अफवाह के बाद भड़की हिंसा का बिहार चुनावों में राजनीतिक लाभ लेने की चेष्टा कर रहे हैं। बिहार में साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़कर मुसलमानों को हराकर वोट बंटोरना चाहते हैं। दरअसल देश में गौवध रोकने को लेकर मुसलमान भी खासे गंभीर हैं। कुछ समय पहले अखिल भारतीय इमाम संघ के प्रमुख मौलाना उमेर इलियासी मुझसे मिले थे। वे भी अपने को भगवान कृष्ण का वशंज बताते हैं। वे कह रहे थे कि उन्होंने अखिल भारतीय मुस्लिम गौ-पालक सम्मेलन की स्थापना की है। वे देश भर में मुसलमानों के बीच में गौ-रक्षा के लिए आंदोलन चला रहे हैं। उनसे गौ-मांस को त्यागने का आह्वान कर रहे हैं। सब जगहों से उन्हें बेहद सकारात्मक रिस्पांस भी मिल रहा है। अखिल भारतीय मुस्लिम गौ-पालक सम्मेलन के देशभर में सम्मेलन हो रहे हैं। कुछ दिन पहले हरियाणा के मुसलमान बहुल मेवात जिले में इसका सम्मेलन हुआ। इसमें हजारों मुसलमानों ने गौ- रक्षा का संकल्प भी लिया।
विकास के मुद्दे से बचने का प्रयास
हालांकि, अब आप बिहार की जनता को उलझा नहीं सकते। वह सब समझती है। उसे भी विकास की ख्वाहिश है। वह भी देश के बाकी अवाम की ही तरह विकास में भागेदारी चाहती है। आखिरकार उसे भी बेहतर जिंदगी जीने का हक तो है। हालांकि, ये बात दीगर है कि बिहार के सोशल जस्टिस की सियासत के कथित प्रवक्ता उसे फिर से छलने की कोशिश कर रहे हैं। वे वोट विकास के नारे पर नहीं मांग रहे। क्योंकि, विकास उनकी प्राथमिकता में नहीं आता। वे तो उससे वोट मांग रहे हैं, जाति के नाम पर। बीफ जैसे सवालों पर उलझाकर। इन्हें मोदी से मिल रही है चुनौती। मोदी विकास को चुनाव में अहम मुद्दा बना चुके हैं। बिहार का अवाम बीते 25 सालों से राज्य पर राज करने वालों से सवाल करने लग गया है। सवाल यह पूछ रहा है कि उन्होंने बिहार के औद्योगिक विकास के लिए क्या किया जब बाकी देश में विकास की बयार बहने लगी। राजीव गांधी द्वारा घोषित सभी बीमारू राज्य स्वस्थ हो गये किन्तु बिहार क्यों लाभान्वित नहीं हुआ। इन सवाल से बिहार में जाति की राजनीति करने वाले बचकर भाग रहे हैं। उन्हें अपने को बचाने के रास्ते नहीं मिल रहे। साठ के दशक तक बिहार गर्वनेंस के लिहाज से देश के बेहतर सूबों में शामिल होता था। बिहार में एक से बढ़कर एक शिक्षण संस्थान थे। इन सबको तबाह कर दिया गया। बिहार में रोजगार नहीं है। अस्पतालों और सड़कों की हालत खस्ता है। बिहार में औद्योगिक क्षेत्र के विकास का चक्का थम चुका है। इस तरह के बिहार में देश या देश से बाहर का कौन सा निवेशक आकर अपना पैसा लगाएगा? क्या वह कोई धर्मशाला चला रहा है? आखिर उसे भी तो अपने निवेश पर लाभ चाहिए। इस सबके बावजूद बिहार को फिर से जाति और गौ-मांस जैसे सवालों पर भटकाया जा रहा है। वोट मांगे जा रहे हैं। सारा देश विकास कर रहा है। पर, बिहार अपनी किस्मत पर रो रहा है। सारे देश को ज्ञान देने वाले बिहार को अब विकास की प्यास है। उसे अब और पीड़ा मत दीजिए माननीय लालू जी।