
खतरनाक सौंदर्य प्रसाधन
बहुतेरे सौंदर्य प्रसाधन पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए प्रिय हो गए हैं, क्योंकि ये अधिक मुलायम,...
बहुतेरे सौंदर्य प्रसाधन पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए प्रिय हो गए हैं, क्योंकि ये अधिक मुलायम, चिकनी और मनोहर त्वचा प्रदान करने का वचन देते हैं। रहन-सहन के स्तर में वृध्दि के साथ ही भारत में भी सौंदर्य प्रसाधन की मांग बढ़ रही है। अब त्वचा को त्वचा को साफ करने, चिकना बनाने, नमी लाने और पोषण देने तथा चेहरे, होंठ, नाखूनों या बालों को रंगत देने के लिए अनेक प्रकार के उत्पाद मौजूद हैं।
पुराने सौंदर्य प्रसाधनों के विपरीत आधुनिक सौंदर्य प्रसाधन सुव्यवस्थित रूप से तैयार किये जाते हैं। तथापि रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से सौंदर्य संस्कृति में खतरे भी बढ़ते जाते हैं। त्वचा और समूचे शरीर पर दीर्घकालीन प्रभाव की दृष्टि से असंख्य रसायनों में से कुछ ही रसायनों की पूरी-पूरी जांच की जाती है।
आमतौर पर लिपिस्टिक की एलर्जी होठों पर त्वचाशोध का रूप धारण करती है जो होठों के लाल होने, पपड़ी पड़ने और फटने से लेकर बेहद रिसने और होठों पर सूजन लाती हुई अंतत: होठों को स्थायी रूप से बदरंग कर देती है।
लिपिस्टिक और हाथों तथा नाखूनों पर लगाये जाने वाले सौंदर्य प्रसाधन आसानी से जज्ब हो सकते हैं। यदि उनमें विषाक्त तत्व मौजूद हैं तो रक्त विकार या कैंसर हो सकता है। लेकिन बढ़िया किस्म की नेल पालिश और लेप रोगन से चेहरे, विसेष रूप से पलकों, गर्दन के दोनों ओर तथा छाती पर त्वचा शोध का होना देखा गया है। नाखूनों का बदरंग होना नाखूनों की जड़ तथा साथ ही नाखूनों का फटना, डिस्ट्राफी और नाखूनों का अलग हो जाना आमतौर पर पाया जाता है।
मस्करा, आई पैंसिल, आई शेडों, काजल और सुरमा जैसे आंखों के मेकअप से आंखों में खारिश होने के साथ ही आंखों को क्षति तक पहुंच सकती है। अभी हाल ही में खबर मिली कि अमेरिका में आंखों के मेकअप के कारण दो लोग अंधे हो गये हैं। भारत में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाले आंखों के सुरमे के अनेक नमूनों में सीसा सल्फाइड का काफी प्रतिशत पाया गया है। बताया जाता है कि इससे इंगलैंड में कई एशियाई बच्चों के मस्तिष्क की क्षति पहुंची है। भारत में इस संबंध में कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
स्थायी रूप से रंगने वाले हेयर टाई पर अनेक अध्ययन किये गए हैं और इस संबंध में बहस-मुबाहसा होता रहा है। इनके विषाक्त प्रभाव इतने हैं कि ये सुरक्षित नहीं कहे जा सकते। हेयर डाई का इस्तेमाल करने वालों में लगभग 5 प्रतिशत लोगों पर इन रंग-सामग्रियों की एलर्जी नजर आने लगती है जो सिरे के ऊपरी हिस्से, नाक, कान, पपोटों और आंखों के इर्दगिर्द भारी सूजन के साथ ही प्रभावित क्षेत्र से आपत्तिजनक रूप ले सकती है। यह भी सिध्द हो चुका है कि इस प्रकार से डाई के अनेक तत्वों से कैंसर उत्पन्न हो सकता है। गर्भवती महिला जब हेयर डाई के इस्तेनाल करती है तो यह गर्भस्थ शिशु द्वारा जज्ब किया जाता है।
बालों के शैम्पू तक से सिर के ऊपरी हिस्से, गर्दन, कान और चेहरे पर एलर्जी वाले दानों के अलावा बाल अधिक तैलाक्त होने और अंतत: झड़ने लगते हैं।
सच पूछिए तो औषधि-मिश्रित सभी सौंदर्य प्रसाधनों को औषधि ही समझ जाना चाहिए। यहां तक कि गंधक, मर्करी आयोडाइड या होसाक्लोरोफेन (जी 11) वाले औषधि मिश्रित साबूनों का भी इस्तेमाल डाक्टरी सलाह पर ही होना चाहिए, सौंदर्य प्रसाधन में जो औषधि होती है यह शरीर-प्रणाली मं जमा होने लगती है। सौंदर्य प्रसाधनों और एण्टीवायटिक्स से जीवनरक्षक दवाओं के प्रति सुग्राहिता और प्रतिरोध उत्पन्न होने का जोखिम रहता है।