
कहीं रंग न कर दें बदरंग
उमंग-उल्लास के पावन पर्व होली में मौज-मस्ती करने का अपना अलग ही मजा होता है। इस दिन हम सभी रंगों का...
उमंग-उल्लास के पावन पर्व होली में मौज-मस्ती करने का अपना अलग ही मजा होता है। इस दिन हम सभी रंगों का जमकर इस्तेमाल करते हैं लेकिन होली के ये रंग-बिरंगे रंग आधुनिक और कृत्रिमता के चलते मिलावटी हो गये हैं। ये रंग स्वास्थ्य के लिये घातक भी हो सकते हैं। ऐसे में होली के अवसर पर रंग खेलते समय सावधानी रखना अत्यंत आवश्यक है।
होली के रंगों में अधिकांशत: पाउडर या सूखे रंग एस्बेस्टस टाल्क, चाक पाउडर या सिलिका से बने होते हैं। इन रंगों में चमक लाने के लिये ग्लास या माईका पाउडर मिलाया जाता है। गुलाल व रंगों के रासायनिक विश्लेषण में पाया गया है कि इनमें ऐसे हानिकारक रसायन व धातुएं मौजूद होती हैं जिनसे त्वचा व श्वास की एलर्जी तथा अन्य बीमारियां हो सकती हैं।
सामान्यत: बाजार में तीन प्रकार के रंग उपलब्ध होते हैं। पेंट्स, ड्राई पाउडर और वाटर कलर्स। पेंट्स में लेड आक्साइड, कापर सल्फेट, एल्युमीनियम क्रोमाइड और मरक्यूरी जैसे जहरीले पदार्थ होने की वजह से त्वचा की एलर्जी व अस्थायी रूप से अंधत्व हो सकता है। ड्राई कलर्स में मौजूद केमिकल गुर्दे, लिवर, हड्डियां और सारी उपापचयात्मक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। रंगों में मिलाए जाने वाले अलग-अलग धातुओं में सबसे ज्यादा खतरा लेड (सीसा) से होता है जो हमारे तंत्रिका तंत्र, गुर्दों और प्रजनन तंत्र पर दुष्प्रभाव डालते हैं।
एक सर्वेक्षण के मुताबिक होली के अवसर पर बिकने वाले रंगों में अधिकतर मिलावटी होते हैं जिससे आंखों में जलन व कम दिखाई देना, चेहरे की त्वचा पर रुखापन, सिरदर्द, रक्त विषाक्तता आदि का खतरा रहता है। ये रंग बच्चों व महिलाओं के लिए अधिक नुकसानदायक होते हैं क्योंकि उनकी त्वचा अधिक संवेदनशील होती है। संवेदनशील त्वचा पर रंगों के कारण पहले सूखापन आता है फिर बाद में संक्रमण के कारण इंरिटंट डर्मेटाइटिस रोग हो जाता है। होली के रंग खरीदते समय विशेष सावधानी रखें। होली खेलते समय शरीर के संवेदनशील अंगों जैसे आंखों को हमेशा बचाकर रखें। रंगों से स्किन एलर्जी हो गयी हो तो डाक्टर को दिखाएं। रंग ब्रांडेड व आईएसआई ट्रेडमार्क देखकर ही खरीदें। सस्ते रंग न खरीदें। ये मिलावटी हो सकते हैं। याद रखें होली के रंगों से जुड़ी किसी भी समस्या का बाद में सामना करने से अच्छा है सावधानी। बेहतर यही है कि रासायनिक तत्वों से बने इन रंगों की बजाए प्राकृतिक चीजों से बने रंगों का प्रयोग किया जाए।