
ओलंपिक में अभी उम्मीद बरकरार : पुष्पा
| | 2016-08-12T12:35:13+05:30
प्रस्तुति : पूरन चन्द्र ।रांची :- अंतर्राष्ट्रीय एथलीट एवं एनआईएस कोच पुष्पा हरसा एक्का भाला...
प्रस्तुति : पूरन चन्द्र ।
रांची :- अंतर्राष्ट्रीय एथलीट एवं एनआईएस कोच पुष्पा हरसा एक्का भाला प्रक्षेपण के क्षेत्र में एक नामचीन शख्सियत है। सीसीएल में वरीय कार्मिक एवं कल्याण पदाधिकारी पुष्पा ने 1989 में पाकिस्तान में सैफ गेम में भारत का प्रतिनिधित्व किया। पुष्पा एक्का का पूरा परिवार खेलों से जुड़ा रहा है जिसके लिए उन्हें फक्र है। पति चेस एवं कैरम के कोच है जबकि पुत्री भाला प्रक्षेपण एवं पुत्र बास्केटबाल का खिलाड़ी है। कला में स्नातक पुष्पा को 1990 में तत्कालीन कोल इंडिया के चैयरमैन एमपी नारायणन ने खेलकूद में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए एवार्ड प्रदान किया था।
15 अगस्त, 1990 को एकीकृत बिहार के राज्यपाल ने पुष्पा को सम्मानित किया था। 1990 में सीएमपीडीआई के तत्कालीन अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ने पुष्पा को सम्मानित किया था। सीआईएल ने 2013-14 में पुष्पा को आउट स्टैंडिंग स्पोर्ट्स खिलाड़ी के लिए प्रमाणपत्र दिया।
पुष्पा एक्का ने कई अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय एथलेटिक्स में भाला प्रक्षेपण के अलावा गोला प्रक्षेपण, डिस्कस थ्रो एवं दौड़ स्पर्द्धा में भी भाग लिया।
आज रांची एक्सप्रेस कार्यालय में पुष्पा हरसा (एक्का) को सम्मानति किया गया। रांची एक्सप्रेस की प्रबंध निदेशक श्रीमती निभा रंजन ने गुलदस्ता एवं राष्ट्रीय ध्वज देकर पुष्पा को सम्मानित किया। रांची एक्सप्रेस की खिलाड़ियों को सम्मानित करने की एक नई कड़ी में शामिल पुष्पा एक्का से बातचीत की गई जिसके प्रमुख अंश इस प्रकार हैं-
प्र.- पुष्पा जी इन दिनों रियो में ओलंपिक चल रहा है क्या भारत को पदक की उम्मीद है?
उ.- अब तक के खेलों में शूटिंग में अभिनय बिन्द्रा से पदक की उम्मीद थी परन्तु वह बाहर हो गये। अब भी उम्मीद बरकरार है। कई स्पर्द्धाएं होनी बाकी हैं। पुरुष हाकी में पदक की उम्मीद है। एथलेटिक्स मंे यदि फाइनल में भी पहुंचे तो बड़ी उपलब्धि होगी।
प्र.- सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक गोपाल सिंह ने आपको होटवार में खेल अकादमी में खिलाड़ियों को तरासने की जिम्मेवारी दी है कैसा लग रहा है?
उ.- आठ खेलों के लिए 78 बच्चों का चयन किया गया है। फुटबाल, हाकी, कुश्ती, भाला प्रक्षेपण, बालीबाल, तीरंदाजी एवं दौड़ के लिए 400 बच्चों को कैम्प में बुलाया गया था जिनमें से 78 का चयन किया गया है। यह अकादमी झारखंड सरकार एवं सीसीएल के द्वारा चलाया जा रहा है। एक जुलाई से प्रशिक्षण का काम शुरू हो गया है। सीसीएल के बारह कमांड क्षेत्रों तथा राज्य सरकार के तहत 12 जिलों से खिलाड़ियों का चयन किया गया। ये बच्चे साढ़े आठ साल से दस वर्ष के हैं। खेलों का प्रशिक्षण के साथ-साथ इन बच्चों को डीएवी नंदराज स्कूल में पढ़ाया भी जाता है। बच्चों को डेढ़ से दो घंटे का प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्र.- एथलेटिक्स में आने की प्रेरणा कैसे मिली?
उ.- मैं महुआ टांड़ की रहने वाली हूं। वहां खेलों के प्रति समर्पित रोबर्ट किस्पोट्टा ने उन्हें तथा अन्य प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दिया। कई खिलाड़ियों को पुलिस में नौकरी मिली। चंचल भट्टाचार्य का हमेशा मागदर्शन रहा।
प्र.- नौकरी मिलने के बाद भी आप खेलती रही या छोड़ दी?
उ.- नहीं मैं अब भी उतना ही मेहनत करती हूं जिम्मेवारी बदल जरूर गयी है।
प्र.- सैफ गेम की अनुभव कैसा रहा?
उ.- बहुत अच्छा रहा। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी, लेकिन वहां के लोगों ने काफी प्यार स्नेह दिया। स्वयं बेनजीर भुट्टो मैच देखने आयी थी।
प्र.- सीसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक गोपाल सिंह ने खेलों को बढ़ावा दिया है कैसा लगता है?
उ.- अध्यक्ष जी की खेलों में गहरी रुचि है। अकादमी खुलवाने का सारा श्रेय उन्हीं को जाता है। उनकी हमेशा सलाह रहती है कि गरीब से गरीब बच्चों को सामने लाकर उन्हें भविष्य का खिलाड़ी बनाया जाए।