रांची, झारखण्ड के जल संसाधन, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चन्द्र प्रकाश चौधरी ने आज नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित नदियों को जोड़ने पर बनी विशेष समिति की छठी बैठक में कहा कि शंख-साउथ कोयल रीवर लिंक एवं साउथ कोयल- स्वर्णरेखा रीवर लिंक का पीएफआर (प्री-फिजबिल्टी रिपोर्ट) बना लिया गया है, मगर उड़ीसा राज्य की आपत्तियों की वजह से डीपीआर बनाने का काम रुका हुआ है। इसलिए उड़ीसा की आपत्तियों को दूर करने के लिए सब ग्रुप की बैठक बुलायी जानी चाहिए। इस पर केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने 10 दिन के भीतर झारखण्ड और उड़ीसा के बीच बैठक बुला कर आपत्तियों को दूर करते हुए डीपीआर बनाने की दिशा में कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
चंद्रप्रकाश चौधरी ने केन्द्रीय मंत्री का ध्यान गत 13 जुलाई को हुई बैठक की ओर आकृष्ट कराते हुए कहा कि उक्त बैठक के बाद अब तक झारखण्ड की परियोजनाओं को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई है और इस बैठक के एजेंडा में भी झारखण्ड की परियोजनाओं का काई उललेख नहीं है। इस पर यह आग्रह होगा कि इस समिति की प्रत्येक बैठक में वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाय। उन्होंने बताया कि बराकर-स्वर्णरेखा रीवर लिंक परियोजना का पी एफ आर भी तैयार हो चुका है। मगर इस परियोजना का डीपीआर बनाने का काम भी अवरुध्द हो गया है। इसके पीछे कारण यह है कि इसके लिए डीभीआरआरसी की सहमति अभी तक प्राप्त नहीं है। डीभीआरआरसी की बैठक जल्दी बुलायी जाय, ताकि इस परियोजना का डीपीआर तैयार हो सके। उन्होंने नदियों को जोड़ने के मामले में एक स्पष्ट नीति बनाने का वकालत की और कहा कि झारखण्ड की वित्तीय स्थिति को देखते हुए इन परियोजनाओं पर होने वाला खर्च का वहन राज्य सरकार द्वारा संभव नहीं हो पायेगा। इस लिहाज से इन परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजनाओं का दर्जा दिया जाना चाहिए ताकि कुल खर्च का 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जा सके। बैठक में कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पांडिचेरी, बिहार, तमिलनाडु व तेलंगाना राज्य के जल संसाधन मंत्री के साथ-साथ अधिकारी भी शामिल हुए।