
उक्त रक्तचाप : क्या है, क्या करें
हमारा हृदय एक पम्प के रूप में कार्य करता है, जिसमें पानी की जगह खून प्रवाहित होता है। दिल की हर...
हमारा हृदय एक पम्प के रूप में कार्य करता है, जिसमें पानी की जगह खून प्रवाहित होता है। दिल की हर धड़कन के साथ उसमें मौजूद खून धमनियों में ढकेला जाता है। इस ढकेलने की क्रिया की वजह से धमनियों के भीतर जो दबाव उत्पन्न होता है, उसे ही रक्तचाप या ब्लड प्रेशर कहते हैं, अर्थात् बहने वाले खून का धमनी की दीवार पर डाला गया दबाव। जैसे नल के भीतर पानी का दबाव होता है और जिसकी वजह से पानी आगे प्रवाहित होता है। रक्तचाप भी उसी तरह से कार्यरत होता है। हर मिनट में हमारा दिल करीब 70-80 बार धड़कता है। यह धड़कना हृदय के संकुचन और फिर प्रसारण की वजह से होता है। जाहिर है कि जब दिल संकुचित होता है तो रक्तावाहिनियों पर पड़ने वाला दबाव भी ज्यादा होगा। इसे 'ऊपर' का 'संकुचन' या 'सिस्टॉलिक' रक्तचाप कहते हैं। एक स्वस्य व्यक्ति में यह 110-130 मि.मी. पारे जितना होता है। जबकि हृदय के प्रसारण के समय यह दबाव कम होकर 70-90 के करीब आ जाता है। इसे 'नीचे' का 'प्रसारण दाब' या 'डायस्टॉलिक' रक्तचाप कहते हैं। जब किसी व्यक्ति का रक्तचाप गिना जाता है तो उसका वर्णन पहले संकुचन रक्तचाप और बाद में प्रसारण रक्तचाप लिखकर कहते हैं, जैसे 130/90 या 110/701. क्या रक्तचाप में घट-बढ़ हो सकती है? :- उम्र, लिंग शरीरयष्ठि, अन्य बीमारियों की मौजूदगी इत्यादि अनेक कारण हैं जिनकी वजह से रक्तचाप में बदलाव दिखायी दे सकता है। जैसे कि एक शिशु का रक्तचाप एक वयस्क के मुकाबले कम होता है वहीं वृध्दों का रक्तचाप नौजवानों की अपेक्षा अधिक होता है। एक निरोगी स्त्री का रक्तचाप पुरुषों के मुकाबले थोड़ा कम होता है। दुबले व्यक्ति का रक्तचाप स्थूल व्यक्ति से कम रहेगा। उसी तरह गुर्दे के कई रोग या खाने में अधिक नमक का सेवन भी रक्तचाप बढ़ा देते हैं। उच्च रक्तचाप किसे कहते हैं? :- एक सर्वसम्मत व्याख्या के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का ऊपर का रक्तचाप 140 से अधिक या उसका नीचे का रक्तचाप 90 या उससे ज्यादा है तो उसे उच्च रक्तटाप कहेंगे। चाहे वह स्त्री हो या- पुरुष, यहां उम्र का भी कोई बंधन नहीं पाला जाता है। उसी तरह गर्भवती स्त्री का रक्तचाप प्रसव से पहले यदि। 30 से बढ़ जाये तो उसे भी उच्च रक्तचाप कहेंगे। इस हिसाब से यदि किसी का भी रक्तचाप। 30 से ज्यादा बढ़ जाये तो उसे इलाज करवाना चाहिये। मगर किसी भी तरह का उपचार शुरू करने से पहले एक सप्ताह के अंतराल में दो बार रक्तचाप गिनने के पश्चात् यदि दोनों में बढ़ोतरी नजर आये तो ही उसे 'उच्च रक्तचाप' का रोगी समझना चाहिये। क्योंकि कई बार मानसिक तनाव, घबराहट, चिंता या क्रोध की वजह से भी अल्पकाल के लिये रक्तचाप बढ़ सकता है। कैसे जानें कि हमारा रक्तचाप बढ़ गया है? :- इसकी वजह से कई लोगों को सिर दर्द, चलने पर सांस फूल जाना, छाती में धड़कन सुनाई देना, नकसीर छूट जाना, आंकों के सामने अंधेरा छा जाना, हाथ पैरों में कंपन होना जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। वैसे अधिकांश मरीजों को उच्च रक्तचाप होने के बावजूद उपरोक्त कोई, लक्षण दिखायी नहीं देते, इसे मूक या 'सायलेंट' बीमारी कहते हैं, इसलिये बेहतर होगा कि तरूणावस्था से ही हम अपना रक्तचाप समय-समय पर नापते हैं। यदि हमारे परिवार का कोई सदस्य इससे पीड़ित हो या हम तम्बाकू का सेवन करहते हों तो यह और भी जरूरी हो जाता है।कैसे नापते हैं रक्तचाप? :- इसे नापने के लिए प्रयुक्त होने वाले यंत्र को ब्लड प्रेशर एपरेट्स या स्फिग्मोमॅनो मीटर कहते हैं, आइये, पहले इसकी रचना को जानें। इस उपकरण में पारे (मरक्यूरी) से भरी एक बोतल होती है जिसके दो मुंह होते हैं, इसमें से ऊपर की ओर खुलने वाले मुंस से कांच की एक लम्बी नली जुड़ी होती है जो ऊपर से बन्द होती है। इस नली पर 0 से 300 तक के अंक दहाई में छपे होते हैं। और हर इकाई को रेखांकित किया गया होता है। बोतल का दूसरा मुंह रबर की नली से जुड़ा होता है। इस नली से कपड़े के दुहरे अस्तर में लिपटी रबर की एक थैली जुड़ी होती है, इस थैली के दूसरे छोर से जुड़े पम्प से थैली में हवा भरी जा सकती है। इसी यंत्र का एक दूसरा प्रकार भी होता है जिसमें पारे की बोतल के बजाय स्प्रिंग सेचलने वाली गोल घड़ीनुमा डिब्बी जुड़ी होती है और इसके मध्य में स्थित कांटा रक्तचाप के अंक की ओर इंगित करता है। और अब तो ऐसे रक्तचापमापक यंत्र भी उपलब्ध है जो पूर्णतः इलेक्ट्रॉनिक है और जिनमें दोनों रक्तचाप सीधे ही अंकों के रूप में मशीन के पटल पर उभर आते हैं साथ ही वे मरीज की नब्ज भी दर्शाते हैं। रक्तचाप नापने की विधि :- कपड़े के अस्तर में लिपटी थैली को व्यक्ति के बाजू में बांध दिया जाता है एक हाथ से उसकी नब्ज पर हाथ रखकर दूसरे हाथ से पम्प के द्वारा थैली में हवा भरी जाती है। जैसे-जैसे हवा भेरगी, कांच की नली में पारा ऊपर चढ़ता जायेगा। एक समय ऐसा भी आयेगा कि नब्ज लगनी बन्द हो जायेगी। इस वक्त पम्प की हवा थोड़ी-थोड़ी कर कम की जाती है।