
अडाणी से हुए एमओयू के प्रावधान का विरोध
| | 2016-03-12T11:46:39+05:30
रांची, विधानसभा में आज विपक्षी सदस्यों ने अडाणी समूह के साथ ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए हुए...
रांची, विधानसभा में आज विपक्षी सदस्यों ने अडाणी समूह के साथ ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए हुए एमओयू प्रावधान और ईचा-खरकई डैम निर्माण से विस्थापितों के समक्ष उत्पन्न होने वाली समस्या को लेकर जोरदार हंगामा किया। इन दोनों मुद्दों को लेकर झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव और झारखंड मुक्ति मोर्चा के निरल पूर्ति की ओर से कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया गया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने अमान्य कर दिया। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण आज प्रश्नोत्तरकाल की कार्रवाही पूरी तरह से बाधित रही।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के निरल पूर्ति ने ईचा-खरकई डैम निर्माण से विस्थापितों के समक्ष उत्पन्न होने वाली समस्याओं को उठाते हुए कहा कि इस डैम के निर्माण से 184 गांव के लोग विस्थापित होंगे। उन्होंने बताया कि सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना से पहले भी कई गांव के लोग विस्थापित हुए हैं और आज इन गांवों में प्रशासन की ओर से कोई भी विकास कार्य नहीं चल रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्व की परियोजनाओं से बड़ी संख्या में विस्थापित परिवार अपने गांव-घर को छोड़ कर पश्चिम बंगाल और असम जाने के लिए मजबूर हुए हैं। उन्होंने बताया कि इन गांवों के हजारों विस्थापित अपनी मांग को लेकर आज राजभवन के समक्ष धरना देने के लिए रांची पहुंचे हैं।
झामुमो के ही चंपई सोरेन ने बताया कि 1980 के दशक में भी इस परियोजना पर जब काम शुरू हुआ था तो स्थानीय लोगों के विरोध के कारण बंद कर दिया गया था, लेकिन इस बार सैन्य बल उतार कर निर्माण कार्य शुरू किया गया है, इससे ग्रामीणों में आक्रोश है।
संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने इन दोनों विषयों को विपक्षी सदस्यों से सदन में कार्यस्थगन के बजाये ध्यानाकर्षण सूचना अथवा प्रश्नकाल में उठाये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह दोनों विषय ऐसे नहीं हैं, जिन पर तुरंत सदन में चर्चा जरूरी हो।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विपक्षी सदस्यों के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अडाणी समूह के साथ ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने को लेकर जो एमओयू किये हैं, उसके तहत 25 प्रतिशत बिजली झारखंड को मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह विपक्षी सदस्यों को अनर्गल आरोप लगाकर सदन की कार्यवाही को बाधित नहीं करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी सदस्य प्रतिदिन अलग-अलग मुद्दा उठाकर कर सदन की कार्यवाही बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि विपक्ष की ओर से कोई मुद्दा सदन में उठाया जाता है, तो सरकार उस पर विचार करने को तैयार है। सरकार को विपक्ष से ज्यादा जनता की चिंता है, क्योंकि राज्य की जनता ने उन्हें पूर्ण बहुमत दिया है।
मुख्यमंत्री ने विपक्षी सदस्यों को यह भी सलाह दी कि हर मुद्दे पर वोट की राजनीति नहीं करनी चाहिए। मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य के बाद विपक्षी सदस्य हो-हंगामा करते हुए आसन के निकट आ गये और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही मुख्यमंत्री ने स्पीकर से आग्रह किया कि इस तरह हंगामा जारी रहता है, तो एक दिन दिन में गिलोटिन के माध्यम से बजट पारित कर सदन बंद कर दें (अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित कर दें)।
विपक्षी सदस्यों के लगातार हंगामे की वजह से विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही अपराह्न 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दुबारा सभा की कार्यवाही शुरू होने पर भी विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और हंगामे के बीच ही कार्मिक विभाग के प्रभारी मंत्री सरयू राय ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) का वार्षिक प्रतिवेदन सभा पटल पर रखा। वहीं प्रभारी ऊर्जा मंत्री सीपी सिंह ने 22.76 अरब रुपये की अनुदान मांग को पेश किया। वहीं झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव ने भी अपना कटौती प्रस्ताव पेश किया।